दीपक तू !!
तिल – तिल कर जलता जा
नीरव होकर ,
अपना कर्तव्य निभाता जा,
समय चक्र के,
साथ -साथ तू चलता जा ।
दीपक तू !
तिल-तिल कर जलता जा ।।
ज़ाहिर हैं जग में
पतंगे की तुझसे प्रीत
तू क्यों न ,
बन सका कभी उसका मीत
मिटा दिया है ,
जीवन उसने जलाकर अपने पर,
और तू !
रोशन करता रहा अनेकों घर
रुकावट की ,
ऑधियों से लड़ तू चलता जा ।
दीपक तू !!
तिल -तिल कर जलता जा ।।
कहीं भी रख दिया
तुझे मंदिर हो कि मज़ार
मौन हो जलता रहा ,
न शुभ अशुभ का विचार
तपन की सहकर ,
पीड़ा तू होता रहा बेजार ,
सभी जगह कर रहा
समता से प्रकाश प्रसार
व्यथा की गाँठ ,
न बाँध तू यूँ ही जीता जा ।
दीपक तू ! !
तिल – तिल कर जलता जा ।।
कभी राह दिखाता
तू बन स्तम्भ दीप
कभी चमकता ,
तू बन आकाश दीप
कभी इंतजार ,
करता तू बन सांध्य दीप,
कभी नई आस ,
जगाता बन प्रातः दीप
अग्रणी बन तू ,
अपना कर्तव्य निभाता जा ।
दीपक तू !!
तिल -तिल कर जलता जा ।।
श्रीमती शोभा शर्मा
शिक्षा ::— बी.ए.–हिन्दी साहित्य , एम. ए.-अर्थशास्त्र – समाजशास्त्र ।
भोपाल (मध्यप्रदेश)
प्रमुख – विधा ::– हिन्दी कविताएँ ,मुक्तक ,क्षणिकाऐं , मुक्त – गीत ।
अन्य विधाऐं ::– आलेख ,लघुकथा ,विभिन्न प्रमुख कवियों के काव्य पर आधारित कविताएँ ,एवं समीक्षात्मक काव्य सृजन ।
अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ ::– मालवी भाषा में ::— गीत – कविताएँ , मालवी भाषा में –“” मालवा वृत्तांत “” किताब ।
बुन्देलखंडी भाषा में ::– गीत ,कविताएँ ।
आकाशवाणी बैतूल में एंकर —
गीत ,कविताओं का प्रसारण ।
आकाशवाणी भोपाल से प्रसारित कविताएँ ।
दूरदर्शन भोपाल में क्षेत्रीय – मालवी भाषा में गीत प्रसारण ।
पुस्तक प्रकाशन : – शीर्षक —“” मालवा – वृत्तांत “”
प्रकाशन वर्ष — 2018
बेहतरीन Kavita
Deepak ke jeevan को बहुत गहराई से समझना
अद्भुत