प्रकृति को समर्पित दुनियाँ भर में मनाया जाने वाला उत्सव ‘पर्यावरण दिवस’ आज एक वैश्विक मंच के रूप में स्थापित हो चुका है हम देखते हैं कि प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में ‘पर्यावरण’ के घटकों जैसे वृक्षों को पूज्य मानकर उन्हें पूजा जाता है हमारे वेद, पुराण, शास्त्रों […]

आजकल  आक्रामक भाषा चलन में है, इसे चलन कहा जाय या सभ्यता का ह्रास आखिर क्या कहा जाय इसे ?समय और युगीन सन्दर्भों  के बदलाव के साथ लोकतंत्र में भी भाषा के जायके बदल रहें है इसके हाल ही में कई उदाहरण देखने में आये हैं जिसमें भाषा की मर्यादा […]

  आजकल हिंदी अपनाने और अंग्रेजी की तिलांजली देने के कर्तव्य और संकल्प दोहराएँ जा रहें है |पर सरकारी कागजों पर हिन्दी कहाँ तक और किस स्तर तक पहुँची इस बात से सब नावाकिफ ही है |भाषा विज्ञानी  डॉ.जय कुमार जलज ने अपने शोध ग्रन्थ ‘भाषा विज्ञान’ में प्रकाशित एक […]

कुछ अपनी निशानियाँ भी लिख दो कोरे पृष्ठों में कुछ चित्रकारी कर दो, सुख-दुख के क्षणों को इनमें लपेट दो इन किताबों में तितलियाँ समेट दो ।। लोग थक हार कर लौट आएंगे जब रास्ते में  बिछी कहानियां पाएंगे तब भूली बिसरी यादों को शुष्क हाथों से सहला नम हो […]

उन शब्दों को मैं कहाँ से ढूँढ कर लाऊं , छः दशक बीते कैसे विचारों को संजोऊं। स्मृति शेष बन कहाँ खो गए धुधंलको में , पहला प्रयास ये, पर आए अश्रु पलकों में ।। सुनती रही माँ से उनकी कहानियाँ , तुम तीनों हो अब उनकी निशानियाँ । बचा […]

ओ नीलाम्बर में उड़ने वाले बादल तुम लगते जैसे , कोई बंजारों के दल । कभी तुम होते काले -काले कभी होते रक्तिम आभा वाले, थमा दिए हों सूरज ने हाथों में मदहोशी भरे मदिरा के प्याले। चलते हो तुम भेष बदल -बदल तुम लगते जैसे , कोई बंजारों के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।