अपूर्ण राज्य में पूर्ण सरकार

0 0
Read Time3 Minute, 10 Second
vaidik
सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक एतिहासिक फैसला किया है। उसने एकमत से माना है कि दिल्ली राज्य के प्रशासन-संचालन में उप-राज्यपाल का पद ध्वजमात्र है। वह प्रशासन का सर्वेसर्वा नहीं है। यह फैसला सिर्फ केजरीवाल सरकार की विजय नहीं है, यह देश के संविधान को भी स्पष्टता प्रदान करता है। केंद्र प्रशासित राज्यों या क्षेत्रों के बारे में जो धारा 239 एए है, उसकी व्याख्या अभी तक इस तरह से की जा रही थी कि इन क्षेत्रों की जनता के द्वारा चुनी हुई सरकारें सिर्फ रबर का ठप्पा बनकर रह गई थीं और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उप-राज्यपाल उन्हें अपनी निजी कंपनी की तरह चलाते रहते थे। शीला दीक्षित जैसी धैर्यवान मुख्यमंत्री तो अपने उप-राज्यपालों से ताल-मेल बिठाकर दिल्ली का प्रशासन किसी तरह चलाती रहीं लेकिन अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया किसी दूसरी मिट्टी के बने हुए हैं। वे जन-आंदोलन की संतान हैं और वे अत्यंत अपूर्व और प्रचंड जनमत से जीते हुए नेता हैं। वे उप-राज्यपाल की दादागीरी कैसे बर्दाश्त कर सकते थे ? पहले और अब दोनों उप-राज्यपालों ने इस अत्यंत लोकप्रिय सरकार का जीना हराम कर रखा था। कभी उसे अपना मुख्य सचिव नियुक्त नहीं करने दिया, कभी अफसरों का तबादला रोक दिया, कभी फैसलों की फाइलें मंगाकर अपने पास रख लीं, कभी अफसरों को मंत्रियों की अवज्ञा करने पर बरजा नहीं और कुल मिलाकर इस लोकप्रिय सरकार को अपनी कठपुतली बनाकर रख दिया। मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को अनशन और धरने पर बैठना पड़ा। अब अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्यपाल को राष्ट्रपति की तरह मंत्रिमंडल की सलाह और सहायता से काम करना होगा। यदि किसी मुद्दे पर मतभेद हो तो उप-राज्यपाल उस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। उप-राज्यपाल के अधिकार-क्षेत्र में दिल्ली की जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस भर रहेगी। शेष सभी मामलों में अब उसकी दखलंदाजी खत्म हो जाएगी। जाहिर है कि अब आप पार्टी के युवा नेता दिल्ली का नक्शा बदलने में समर्थ होंगे। दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है लेकिन इस फैसले से अब केजरीवाल की सरकार लगभग पूर्ण सरकार की तरह चलेगी।
                          *डॉ. वैदिक*

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

चिनगारी

Fri Jul 6 , 2018
चिनगारी वह पर फैलाए, बैठ गई छ्प्पर के ऊपर तम देख वह चिंतित, आलोक लाई थी। तेल नहीं था; तम का साया, उस घर में ही रोशन छाया जल गया वह दीपक, जो जल न पाता था। कूप भी है वह जल गया, जो जल न देता था जल गया […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।