बस लिखता रहता हूँ…

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prabhat
मुझे नज़्म लिखनी कहाँ आती है, गीत,ग़ज़ल क्या होते हैं ये भी नहीं पता..
हाँ,ये पता है कि कुछ लिखता ज़रूर हूँ,
पर क्या लिखता हूँ…पता नहीं ?

ऐसा लगता है कि कभी-कभी अपने, ही फ़साने लिखता हूँ….
तो कभी करता हूँ चाँद की बातें,
आसमाँ वाले की नहीं,ज़मी वाले की..
कभी किसी ग़रीब की फ़रियाद लिखता हूँ…
तो कभी सफ़र की याद लिखता हूँ।

कभी किसी चेहरे पे पड़ी लटों की बात लिखता हूँ…
तो कभी आसमान पर छाए बादल की बात करता हूँ,
कभी लिखता हूँ किसी मासूम बच्चे की मुस्कराहट को..
तो कभी लिखता हूँ बंद परिंदे के उड़ने की चाहत को,
बस लिखता हूँ, लिखता हूँ और लिखता रहता हूँ….।

हाँ,कुछ लोग जरूर कहते हैं कि,
मैं अच्छा लिखता हूँ….
और अब उन्हीं से पूछूँगा कि,
मैं क्या लिखता हूँ….
                        #प्रभात पंचोली

परिचय : प्रभात पंचोली अग्रणी जनसंचार संस्थान में सृजनात्मक लेखक हैं। आप कविता,ग़ज़ल और कहानियां ही नहीं लिखते,बल्कि व्यंगात्मक साहित्य लिखने में भी ज्यादा रूचि रखते हैं।

matruadmin

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8 thoughts on “बस लिखता रहता हूँ…

  1. सभी रचनाकारों की रचनाएं सराहनीय है

  2. आप एक बार सिर्फ एक सेकण्ड के लिए इन्हें देख ले एक पल मे इनकी नज़र अनगिनत और अनमोल नज़्म ,गज़ले,गीत कह जाती है। और जब लफ्ज़ खुलते है तो एक superb लेखक का अहसास होता है।

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