विरह की नगरी में मिलन की नगरी कैसे बसाऊं ?
लाक डाउन लगा है, तेरे पास अब मै कैसे आऊ ?
उदास बैठी हूँ, बस तेरा ही इन्तजार कर रही हूँ |
whatsapp के जरिये,अपनी व्यथा भेज रही हूँ ||
कब आयेगी मिलन की घड़ी,ये रब को ही है पता |
गुमसुम सी बैठी हूँ,खाती नहीं,तुमको ही है पता ||
आँसू नहीं रहे आँखों में,तेरी याद में रोते रोते |
तुझ को याद कर लेती हूँ,बिस्तर पर लेटे लेटे ||
सूख कर काँटा हो गयी,चलना फिरना है मुश्किल |
जब से प्यार किया दिल को समझना है मुश्किल ||
अब आन मिलो सजना तुम बिन रहा नहीं जाता |
जख्म इतने गहरे हो गये अब दर्द सहा नहीं जाता ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम