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बड़ी मुददत और श्रध्दा से चाहा है तुम्हें l
बड़ी दुआओं और अच्छे कर्मो से पाया है तुम्हें I
तुम ने भुलाने का सोचा भी कैसे प्रिये l
किस्मत की लकीरों से हमने चुराया है तुम्हें।1
इसलिए कहता हूँ की जिसे निभा न सकूँ /
ऐसा वादा में कभी नही करता..!
मैं बातें भी अपनी हद में रहकर ही करता /
क्योंकि ज्यादा कुछ भी पाने की चाहत भी मैं नहीं करता..!2I
हाँ पर दिल में तमन्ना रखता हूं /
आसमान को छू लेने की..!
लेकिन कभी भी औरो को गिराने का /
कभी भी इरादा नहीं रखता..!3!
हर जलते दीपक तले अँधेरा होता है I
हर रात के पीछे एक सवेरा होता हैI
लोग डर जाते हैं मुश्किलों को देख करI
पर हर मुश्किल के पीछे सफलता का सवेरा होता है I4I
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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