रश्मिरथी डॉ कुमार विश्वास : हिन्दी की प्रसिद्धि से दीवानी कविता तक  डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ यशस्वी सूर्य अम्बर चढ़ रहा है, तुमको सूचित हो विजय का रथ सुपथ पर बढ़ रहा है, तुमको सूचित हो अवाचित पत्र मेरे जो नहीं खोले तलक तुमने समूचा विश्व उनको पढ़ रहा है, तुमको सूचित हो […]

रश्मिरथी  शैलेष लोढ़ा : गर्म धरती से हास्य की ठंडक तक  डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ अतीत ने वर्तमान की आंखों में झांका और मुस्कुरा के कहा, जीवन तो मैंने जिया, अब तो सिर्फ दौड़ है जीवन कहाँ रहा ?? नवम्बर ८, १९६९ को जोधपुर की धरती पर पिता श्याम सिंह लोढ़ा और माता […]

रश्मिरथी डॉ कुँअर बेचैन: गीत की अंगड़ाई से कविता के यौवन तक   डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ दुख ने तो सीख लिया आगे-आगे बढ़ना ही और सुख सीख रहे पीछे-पीछे हटना सपनों ने सीख लिया टूटने का ढंग और सीख लिया आँसुओं ने आँखों में सिमटना पलकों ने पल-पल चुभने की बात सीखी बार-बार […]

रश्मिरथी  डॉ हरिओम पवार: अग्नि गीतों से भारत माँ की उतारते आरती  डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ मैं भी गीत सुना सकता हूँ शबनम के अभिनन्दन के मै भी ताज पहन सकता हूँ नंदन वन के चन्दन के लेकिन जब तक पगडण्डी से संसद तक कोलाहल है […]

रश्मिरथी सुरेंद्र शर्मा : चार लाइना से जनता को हास्य में डुबाने वाले का नाम डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ ‘पत्नी जी! मेरो इरादो बिल्कुल ही नेक है तू सैकड़ा में एक है।’ वा बोली- ‘बेवकूफ मन्ना बणाओ बाकी निन्याणबैं कूण-सी हैं या बताओ।’ हरियाणा की नंगल चौधरी ग्राम में २९ […]

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रश्मिरथी नरेंद्र पाल जैन : गीत की गूंज का चमकता सितारा डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ राजस्थान की धरती के जिला उदयपुर के ग्राम ऋषभदेव में  पिता श्री श्रीपाल जी और माता श्रीमती कमलादेवी की संतान के रूप में जन्मे नरेंद्रपाल बचपन से प्रतिभाशाली और कला-साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय है। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।