सुरेंद्र शर्मा : चार लाइना से जनता को हास्य में डुबाने वाले का नाम

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रश्मिरथी

सुरेंद्र शर्मा : चार लाइना से जनता को हास्य में डुबाने वाले का नाम

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डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’

‘पत्नी जी!
मेरो इरादो बिल्कुल ही नेक है
तू सैकड़ा में एक है।’
वा बोली-
‘बेवकूफ मन्ना बणाओ
बाकी निन्याणबैं कूण-सी हैं
या बताओ।’

हरियाणा की नंगल चौधरी ग्राम में २९ जुलाई १९४५ के दिन जन्म लिए एक बालक की यात्रा ने हंसी की गर्जना के साथ भारत की जनता के दिलों पर अमिट छाप छोड़ते हुए पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त किया है। हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा विश्वख्याति के लोकप्रिय कवि हैं। लाखों-करोड़ों सुधि श्रोताओं के प्यारे कवि हिंदी की महनीय हास्य परंपरा में व्यंग बाणों से सत्ता और समकालीन राजनीती पर भी भारी रहते है।  उनके चुटीले व्यंग्य श्रोताओं के दिलो-दिमाग़ को पहले तो जगाते हैं, फिर हँसाते हैं, फिर उनसे छतफाड़ ठहाके लगवाते हैं, पर घर लौटकर सुरेंद्र शर्मा के कटाक्षों को जब वे सत्ता-व्यवस्था, संसार-व्यवहार की यातना और चरित्रहीनता से टकराते देखते हैं, तो हँसते नहीं, सोचना शुरू करते है, और मौक़ा मिलते ही उन्हें दोबारा सुनने आते हैं ! हमेशा सुनने के लिए अधीर रहते हैं।

‘चार लाइना सुना रिया हूँ’ के सूत्रधार वाचिक परंपरा के दिवाकर लगभग ५ दशकों से श्रोताओं के निज ह्रदय आसान पर विराजित हो कर हिन्दी भाषा की सेवा कर रहे है। भारतीय कवि संस्कृति में मंच पर हास्य के पर्याय माने जाने वाले सिद्ध कवि जिनकी कविताओं के दीवानों में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व: अटल बिहारी वाजपेजी जी भी रहे है। सहज भाव भंगिमाओं के माध्यम से स्तरीय हास्य पहुंचते हुए आदरणीय शर्मा जी ने भारतीय जनता के मन को छुआ है। आपकी तीन से अधिक पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। काका हाथरसी पुरस्कार से पुरस्कृत सुरेंद्र शर्मा जी अब तक हजारों कवि सम्मेलनों के माध्यम से जनता को जागृत कर चुके है। देशी-विदेशी दर्शकों पर आपने ‘म्हारी घराली’ के माध्यम से पति-पत्नी संवाद काव्य की गहरी छाप अंकित कर दी है। सैकड़ों शो, हजारों सम्मान, लाखों कवि सम्मलेन, और करोड़ों दर्शक और श्रोता ही आपकी मूल्य निधि है। इसी निधि के सहारे आप हिन्दी कवि सम्मेलनों में स्वास्थ्य हास्य और तीक्ष्ण व्यंग्य शरों का संधान कर पाते है।

हिंदी संसार ने आपके गद्य संग्रह का भी भरपूर स्वागत किया और यहाँ तक कि आपके हर शब्दों में भारत की जनता ने अपने सुरेंद्र शर्मा को खोजते हुए चिर-परिचित अंदाज में हिन्दी सेवा का लाभ देखा है।

1001827_413091405472080_76705480_nपद्मश्री सुरेंद्र शर्मा
रसहास्य रस
अनुभव५० वर्ष से अधिक
निवासदिल्ली, भारत

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।