डॉ हरिओम पवार: अग्नि गीतों से भारत माँ की उतारते आरती

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रश्मिरथी

 डॉ हरिओम पवार: अग्नि गीतों से भारत माँ की उतारते आरती

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 डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’

घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ
मैं भी गीत सुना सकता हूँ शबनम के अभिनन्दन के
मै भी ताज पहन सकता हूँ नंदन वन के चन्दन के
लेकिन जब तक पगडण्डी से संसद तक कोलाहल है
तब तक केवल गीत पढूंगा जन-गण-मन के क्रंदन के

– डॉ हरिओम पवार

24 मई 1951 को उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर जिले के एक गांव बुटना के किसान परिवार में जन्मे अग्निधर्मा कवि डॉ हरिओम पवार जिन्होंने 1975 में मेरठ विश्वविद्यालय से एलएलएम किया साथ ही वे मेरठ विश्वविद्यालय के ही मेरठ महाविद्यालय में विधि संकाय में प्रोफेसर हैं। उन्हें भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं विभिन्न मुख्यमंत्रियों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें ‘निराला पुरस्कार’, ‘भारतीय साहित्य संगम पुरस्कार’, ‘रश्मि पुरस्कार’, ‘जनजागरण सर्वश्रेष्ठ कवि पुरस्कार’ तथा ‘आवाज-ए-हिन्दुस्थान’ आदि सम्मान प्रदान किये गये हैं।  वे अपनी देशभक्ति कविताओं के लिए प्रसिद्ध है। विगत ४ दशकों से अधिक समय से हिंदी कविता को काव्य मंचों पर सुशोभित कर रहे है। अग्निसागर नाम से ६ आडियों सी डी व चार विडिओ सी डी मे कविताएँ संकलित है। ‘अग्निपथ के शिलालेख’ पुस्तक रुप में आपका कविता संकलन उपलब्ध है। बाबा रामदेव के सान्निध्य मे आस्था चैनल पर अक्सर आप कविता पाठ करते है। डॉ हरिओम पंवार भारत की राष्ट्रीय अस्मिता के गायक हिन्दी कवि हैं। वे वीर रस के कवि हैं।

आपकी प्रमुख रचनाओं में शामिल है काला धन,घाटी के दिल की धड़कन,मै मरते लोकतन्त्र का बयान हूँ,बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे,विमान अपहरण, कहानी कांग्रेस की, इंदिरा जी की मृत्यु पर, अयोध्या की आग पर, आजादी के टूटे फूटे सपने लेकर बैठा हूँ, मेरा राम तो मेरा हिंदुस्तान है, घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ, इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे, अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर का परिचय, घाटी में संघर्ष विराम, मैनें क्यों गाए हैं नारे, हाँ हुजूर मैं चीख रहा हूँ आदि है।

डॉ हरिओम पवार एक ऐसे कवि है जिनकी कविता सुन कर आज के युवा से लेकर उम्र वाले लोग भी राष्ट्रभक्ति के रोमांच से रोमांचित और उत्साहित हो जाते हैं। जब आप कोई भी कविता गाते है तो सम्पूर्ण सदन में जोश भर जाता है। और जब वो भारत की सीमा से जुडी कोई कविता गाते है फिर तो खून ख़ौल उठता है। लालकिले से आप लगभग ३ दशकों से काव्य पाठ कर रहे है। घायल भारत माता की वेदना गाने वाले कवि का नाम डॉ हरिओम पवार है।

26805500_1745227628834104_7806697128285779275_nडॉ हरिओम पवार
रस -वीर रस
अनुभव – ४ दशकों से अधिक
निवास- मेरठ (उत्तरप्रदेश)

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।