रूहानी रिश्ते

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kaji
कितने रिश्ते,कितने नाते,
दुनिया में बनाते हैं।
 दिल से पूछें अपने हम,
 कैसे उन्हें निभाते हैं॥
  लोभ-लालच और अय्यारी,
  रिश्तों में भर देते हैं।
  दाग़दार इन रिश्तों को,
  हम ख़ुद ही कर देते हैं॥
   आओ रिश्तों को हम,
   थोड़ा-सा रूहानी कर दें।
   दिल के मौसम को,
   थोड़ा-सा रूमानी कर दें॥
    प्यार और सम्मान तो,
    रिश्तों की पहचान है।
    हर रिश्ते,हर नाते का,
    यही तो आहवान है॥

                                                             #वासीफ काजी

परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,इसलिए लेखन में हुनरमंद हैं। साथ ही एमएससी और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए किया हुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।

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