कोहरे की चादर तान कर
रात सितारों ने बिताई चाँदनी शब भर,
शीत से ठिठुरती रही।
देख अपने मित्र चाँद की बेबसी
रवि ने झट प्राची से,
उष्मित सिंदूरी आँचल
डाल दिया।
धीरे-धीरे फिर आँच देती अपनी
असीमित बाहुपाश किरणों से,
कोहरे की चादर समेटने लगा।
सूरज के बाहुपाश में
लजाती शर्माती भोर भी, कसमसाती,लरजती,सिहरती रही॥
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।