दोनों के भीतर

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vasundhara
भीतर-भीतर
झांका मैंने,
अरमानों की डोली को
टूटा-टूटा पाया मैंने।
रिश्तों में एक प्यार का रिश्ता
हिस्सों में बांटा मैंने,
सूना-सूना आखों का मंज़र
मन खंडहर-सा
होते देखा मैंने।
खोखली मुस्कानों में
क्रंदन को,
छुपते देखा मैंने।
साथ होकर साथ
न होना,
आना और आकर जाना
वो दर्द दोनों के
भीतर रिसता देखा मैंने॥

                                                             #वसुंधरा राय

परिचय : वसुंधरा राय ने समाजशास्त्र  में एम.ए. और पत्रकारिता मास्टर डिप्लोमा (मुम्बई ) की शिक्षा हासिल की है l आपका बसेरा  महाराष्ट्र के नागपुर में क्लार्क टाऊन(कड़वी चौक के पास) में है l २००८ में राष्ट्रीय हिन्दी पत्रिका में रूपक लेखक का कार्य अनुभव है,और वर्तमान में अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेखन जारी हैl आप छंदमुक्त कविता,लघुकथा,दोहा छंद,आध्यात्मिक, राजनीतिक,सामाजिक विषयों पर लेखने के साथ ही वर्तमान में सामाजिक सेवाओं में भी संलग्न हैं l विश्वनाथ राय बहुउद्देशीय संस्था `शब्द सुगंध` की संस्थापक व अध्यक्ष हैं तो,अॉल इंडिया रेडियो पर विषय वक्ता के साथ ही मंच संचालिका भी हैं l आपकी लघुकथाओं की दो पुस्तक २०१७ में प्रकाशित होने वाली हैं। आपको सम्मान के रूप में अर्णव काव्य रत्न अलंकार,व्रत प्रतिष्ठान सम्मान,हाइकु मंजूषा रत्न सम्मान सहित राज्य स्तरीय हाइकु सम्मान तथा साहित्यिक सृजन सम्मान भी मिला है l हाइकु विशेषांक,मेरी सांसें तेरा जीवन,हाइकु संग्रह आदि साझा प्रकाशित पुस्तकें हैंl मंच पर कविता पाठ और गायन भी आप करती हैं। 

matruadmin

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4 thoughts on “दोनों के भीतर

  1. बहुत ही उम्दा रचना।पढ़ कर बहुत ही खुशी हुई।बधाई।हमें आप पर गर्व है।

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