कारगिल विजय दिवस…

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rajnish dube
जय भारत उदघोष हुआ था,
तोलोलम की चोटी पर…
हर बेटा पानी फेर रहा था
दुश्मन के बारूद की पेटी पर।
जाली बंकर तोड़ घुसे थे,
शेर वीर,उन कायर के
पाक में बादल काले थे..
जब हौंसले बोले,विक्रम के
चढ़ना इतना आसां न था,
दुश्मन जहां थे ऊंचे पहाड़ों पर
बुद्धि विवेक का ताज रखा था
भारत माँ ने अपने लाड़लों पर।
जब दुश्मन अपना पक्ष देखता,
दूरबीन से ऊंचाई पर गिद्धों-सा
हर बेटा तब लक्ष्य भेदता,
चढ़ा जा रहा था चट्टानों-सा
नंगरम,सोनम,संजय,श्यामा
चीर घटा बड़ा इतिहास रचे,
रक्त भेद आवाह्न था इनका
शत्रु मिटा के मैंदां उल्लास रचे।
सिंह,शास्त्री,योगिन्दर और गुप्ता
सबकी फिक्र में विक्रम बत्रा,
छह दिन तक जो भूख मिटाता
बर्फ का जल वो जुड़ा था नाता,
विजय दुबे भी कारगिल में थे..
वीरों के से युद्ध लड़े थे
सबने उनके पत्र पढ़े थे,
शेरों से छाती पर शत्रु की चढ़े थे
आज स्मरण सब करते उनका,
शहीद छवि का ख्वाब था जिनका
हम एलओसी जीत चुके हैं,
किंतु देश में अब भी दीवारें हैं..
छिपी दीवारें गुट में बांट चुके हैं,
अपनों से अपने जो आज घिरे हैं॥
                                                                                                          #रजनीश दुबे
परिचय : रजनीश दुबे की जन्म तिथि १९ नवम्बर १९९० हैl आपका नौकरी का कार्यस्थल बुधनी स्थित श्री औरोबिन्दो पब्लिक स्कूल इकाई वर्धमान टैक्सटाइल हैl  ज्वलंत मुद्दों पर काव्य एवं कथा लेखन में आप कि रुचि है,इसलिए स्वभाव क्रांतिकारी हैl मध्यप्रदेश के  के नर्मदापुरम् संभाग के  होशंगाबाद जिले के सरस्वती नगर रसूलिया में रहने वाले श्री दुबे का  यही उद्देश्य है कि,जब तक जीवन है,तब तक अखंड भारत देश की स्थापना हेतु सक्रिय रहकर लोगों का योगदान और बढ़ाया जाए l  

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।