तब तक `विद्यासागर` हो

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pushpendra
तव पद में मम माथ है गुरुवर,
मम माथे तेरा कर हो
तव आशीष तले मम चेतन
मम जीवन पावन कर दोl

अदभुत है संयोग ये गुरुवर,
`मलप्पा श्रीमती` सुत का
`शरद पूर्णिमा` के तुम चंदा
संग सूर्य सम यतिवर होl

शब्द नहीं,सुर-ताल न जानूं ,
फिर भी अज्ञ करे भक्ति
`पुष्प` ध्यान में नैन में तुम हो,
अन्तस्थल मम गुरुवर होl

ज्ञान शिष्य विद्या गुरु शरणं,
भवसागर से हो तरणं
नहीं चिता की चिंता मुझको,
जो मरणं तेरे दर होl

यही भावना हे परमेश्वर,
पंचम युग पर दृष्टि हो
जब तक नभ में सूरज-चंदा,
तब तक `विद्यासागर` होll
(आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के अवतरण दिवस पर शब्द सुमन)

                                                              #पुष्पेन्द्र जैन ‘नैनधरा’

परिचय : पुष्पेन्द्र जैन ‘नैनधरा’ का  सागर(मध्यप्रदेश) के गोपालगंज में निवास है। आप यहीं पर टाइल्स- मार्बल और सेनेटरी का व्यवसाय करते हैं। साथ ही कविताएं और लेख लिखने का शौक भी रखते हैं। कविता लेखन में विशेष रुचि है। १००० से अधिक रचनाएं लिख चुके हैं,जो कई संचार माध्यमों से प्रकाशित भी हुई हैं।

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