कदम मिलाकर चलना होगा

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aashutosh kumar
बढती राष्ट्र प्रेम की भावना बिगत कई दशकों से इस तरह नहीं देखा गया जिसके कारण ही शायद आतंकबाद की जड़े मजबूत होती गयी।आतंकबाद के खात्मा के लिए सरकारऔर सेना की दृढ इच्छाशक्ति के साथ-साथ लोगो में राष्ट्र के लिए सेना और सरकार के साथ “कदम मिलाकर चलना होगा”। इस लड़ाई में एक मजबूत और स्वाबलंबी सरकार की जरूरत होगी । जिस तरह से मौजूदा सरकार ने अदभूत इच्छाशक्ति दिखाई है उसी तरह की इच्छाशक्ति की जरूरत आने वाले समय में पड़गी ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि राष्ट्रप्रेम के साथ सजगता बरतते हुए सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें और एक ऐसी मजबूत सरकार चुने जिससे आने वाले वर्षो में आतंक की रूह कांपती रहे। देश के प्रति प्रतिबद्धता के साथ समस्याओं का निराकरण निकालने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीति की जरूरत होती है जो क्षेत्रीय समीकरण से नही हो सकता।स्थानीय मुद्दे अलग होते है और राष्ट्रीय मुद्दे अलग जिसे समझने की जरूरत है ।
भारत की पहचान अन्य देशों से अलग और महान रही है।यहा विभिन्न समुदाय के लोग मिलकर रहते हैं।यही दूसरे की आँखों में चुभते भी हैं जिसे सारी शक्तियाँ मिलकर तोडना चाहती है। हमारा लोकतंत्र दुनिया के लिए मिशाल रहा है। इतनी अलग-अलग करने की कोशिश के बावजूद भी आज हम सब एक सूत्र में बंध जाते है और भारत माता की जय बंदे मातरम और जयहिन्द के नारो की शक्ति के कारण सभी एक मंच पर होते है । जैसा कि हम सब जानते है मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना तो फिर सरकार भी नही कहता हमें अपनो से कमजोर करना। हिन्दी है हम वतन है, सेना है तो हम है सेना से हिन्दुस्तान हमारा।
मजबूत इरादा देने के लिए मजबूत और कर्तव्यनिष्ठ को ही योग्य समझने में आपकी राष्ट्र के प्रति सही और सार्थक योगदानों से दुनियाँ को समझानी है और आतंक को जबाव देना है।आज के संदर्भ में जिस तरह से देशप्रेम की भावना जागृत हुई है उसे बरकरार रखना ही होगा और इस लड़ाई में अंदर और बाहर के आतंक से निपटाना होगा।सात दशक से झेल रहे इस दंश को आखिर कबतक सहते रहेंगे निर्दोष, और कब तक देते रहेंगे बलिदान छुपे हुए गद्दारो को चाहे जिस रूप से हो सबक सिखाने के लिए जरूरी है कि आपके अंदर देश के प्रति सेवा भाव हो जरूरी नही कि सेना में रहकर ही आप देश सेवा करें किसी भी कार्य को अपना कर आप ऐसा कर सकते है।बस आपकी सोच होनी चाहिए स्वार्थ नही?
राष्ट्रबाद और राजनीति दोनों को मिक्स नहीं किया जा सकता राजनीति एक सोच और विचारघारा हो सकती है जो हमेशा महत्वाकांक्षा को बढ़ावा देती रही है। उसके उलट राष्ट्रबाद आपके खून में दौड़ता हुआ लहू है आपकी सांसे है आपकी ईज्जत है।इन दोनो को कभी एक परिधि में नही आंका जा सकता।
पुलवामा हमले के बाद से राष्ट्र की एकजुटता अनेक कार्यक्रमो और जूलूसो में प्रदर्शित हुई है और आगे भी होंगी। बदला लेने का स्वर मुखर हो उठा उसवक्त युवाओ, बच्चे और बुजुर्गो की जोश देखकर राजनीतिक दल उनके स्वर मिलाकर सरकार से बदला चाह रहे थे।और जब माकूल जबाब मिला तो सबूत।
ऐसे हालात में राजनीति के कोई मायने नही होने चाहिए था परन्तु विक्षिप्त और स्वार्थी राजनीति के कारण राष्ट्रबाद का राजनीतिकरण करने की कोशिश लगातार होती रही है।देश में फ्रीडम ऑफ स्पीच का, सेना और सरकार पर लगातार तथ्य विहीन खबर फैलाकर भ्रामक सिथति पैदा किया जाना बेहद निंदनीय है। चाहे वो अवार्ड वापसी हो,जेएनयू में अफजल गैंग हो,सर्जिकल स्ट्राईक पर सबूत मांगना हो पत्थर बाजो के पक्ष में उन्हें बच्चा साबित करना हो या एयर स्टाइक पर सवाल करना हो सभी मामले राष्ट्र सुरक्षा से जुडे हुए हैं जबकि ऐसे मामले बेहद संवेदनशील माने जाते हैं फिर देश के जाने माने राजनैतिज्ञ जो विभिन्न दलो अथवा संवैधानिक पदों पर रहकर उसे भोग करने अथवा सक्रिय राजनीति में रहते हुए कैसे ऐसे मामले पर राजनीति कर सकते है जबकि देश बेहद गूस्से और बदला लेने के लिए आतुर है ?
ताजा घटना क्रम का अध्ययन करने पर सरकार की कार्रवाई चुस्त और दुरूस्त है जिसका परिणाम विंग कमांडर अभिनंदन का 24 घंटे में सरकार और सेना की ठोस निर्णय के कारण वतन वापसी संभव हुई। इस पूरे प्रकरण में कोई विवश दिखा तो वो था पाक ।
‘हमारी कठोर निर्णय पूरे विश्व ने देखा कैसे एक आतंकी समर्थक जो दुर्भाग्यवश एटॉमिक पॉवर वाली कंट्री’भी है , को हमारी सरकार और सेना ने झुकाया बात करने को तरसाया ये उनके संसदीय बयानो में दर्ज हुआ उनकी  लाचारी साफ नजर आ रही थी। जबकि हमलोग बिना रूके बिना डर के अपने कार्य करते रहे और जिसका जब समय आया जबाब दिया गया।यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूत कडी है जो पाक के नसीब में नहीं है।
पाकिस्तान से MFN का दर्जा वापस,  200 परसेंट कस्टम ड्यूटी बढ़ाई, एयर स्ट्राइक , F16 मार गिराया, सुषमा स्वराज ने OIC को संबोधित किया,  अभिनंदन को वापस लिया और इस दौरान एक भी कार्यक्रम का रद्द नही किया जाना सरकार की उपलब्धी रही है।यही तो अच्छे दिन और न्यू इंडिया है जिसमें हौसला साहस और शौर्य है राष्ट्रबाद,राष्ट्रीय सुरक्षा,नीति के साथ सबका हित और विकास है। देश बदल रहा है।
“चला गया सरबजीत का दौर
अब अभिनंदन का जमाना है
एकता बना के रखना अब
पाक को समझाना है।”

“आशुतोष”

नाम।                   –  आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम –  आशुतोष
जन्मतिथि             –  30/101973
वर्तमान पता          – 113/77बी  
                              शास्त्रीनगर 
                              पटना  23 बिहार                  
कार्यक्षेत्र               –  जाॅब
शिक्षा                   –  ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन                 – नगण्य
सम्मान।                – नगण्य
अन्य उलब्धि          – कभ्प्यूटर आपरेटर
                                टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य   – सामाजिक जागृति

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।