ऐसा नव वर्ष मनाएं क्यों, ऐसी संस्कृति बनाएं क्यों ? जब मदिरालय की मदहोशी का मातम फैला रहता हो, सोने की चिड़िया का यौवन धुआं नशे में जकड़ा हो, जब आधुनिकता में आकर अश्लील तराने बजते हों, जब तोड़ के सारी मर्यादा  तन के श्रृंगार बरसते हों, पश्चिम की धुन […]

तव पद में मम माथ है गुरुवर, मम माथे तेरा कर हो तव आशीष तले मम चेतन मम जीवन पावन कर दोl अदभुत है संयोग ये गुरुवर, `मलप्पा श्रीमती` सुत का `शरद पूर्णिमा` के तुम चंदा संग सूर्य सम यतिवर होl शब्द नहीं,सुर-ताल न जानूं , फिर भी अज्ञ करे […]

  प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को, नमन मेरा प्रतिदिन अंतिम गुरूवर को॥ गुरू ज्ञान है गुरू मान है गुरूओं कारण ही पहचान है, दिया न होता ज्ञान गुरू ने ज्ञान रहित होता अन्ध मेरा मन, चक्षु रहित पशुवरत होता तन॥ प्रतिदिन नमन मेरा प्रथम गुरूवर को, नमन मेरा प्रतिदिन […]

अन्जानों के साए में अपनों को खोजता है, बड़ा बावरा है वो जो इस कदर सोचता है। कौन कहता है गिरते नहीं जाँबाज जंग-ए-मैदान में, उसे क्या पता जो मैदान छोड़ स्थान ढूँढता है। लड़खड़ाया-सा क्यों है दौरे-ए-जूनून में, मन्जिल बाकी है अभी वो, नई राह ढूँढता है। रिश्तों की […]

एक पिता तिनका-तिनका जोड़कर, अपना घरोंदा बनाता है फिर पता नहीं क्यूँ, हड्डियां कमजोर होने पर वो उसी घर से बाहर हो जाता है l रोम-रोम से वात्सल्य लुटाता है, बच्चों के अनकहे ह्रदय के भाव समझ जाता है, मगर अपनी आवश्यक जरूरतों को तरस जाता है l     […]

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अँधेरा हैं चारों तरफ, कोई दीवाना चाहिए मिटा दे जो अंधेरों को, दीपक जलना चाहिए। भरोसा भोर का है नहीं, रात भी है रकीब जैसी ढूँढ लाए जो शमां को, ऐसा परवाना चाहिए। फलक तक जाना चाहो, आसमां से करने बातें परिन्दों सी जो नीयत हो, उसे उड़ जाना चाहिए। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।