रंगों से रंगी दुनिया

0 0
Read Time2 Minute, 35 Second

drushti

मैंने देखी ही नहीं,

रंगों से रंगी दुनिया कोl
मेरी आँखें ही नहीं,
ख्वाबों के रंग सजाने को|

कौन आएगा,आँखों में समाएगा,
रंगों के रूप को जब दिखाएगा
रंगों पे इठलाने वालों,
डगर मुझे दिखाओ जरा
चल संकू मैं भी अपने पग से,
रोशनी मुझे दिलाओ जरा
ये हकीकत है कि,

क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैंने देखी ही नहीं…l

याद आएगा,दिलों में समाएगा,
मन के मीत को पास पाएगा
आँखों से देखने वालों,
नयन मुझे दिलाओ जरा
देख संकू मैं भी भेदकर,
इन्द्रधनुष के तीर दिलाओ जरा
ये हकीकत है कि,

क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैंने देखी ही नहीं …l

जान जाएगा,वो दिन आएगा,
आँखों से बोल के कोई समझाएगा
रंगों से खेलने वालों
रोशनी मुझे दिलाओ जरा,
देख संकू मैं भी खुशियों को
आँखों में रोशनी दे जाओ जरा,
ये हकीकत है कि,

क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैंने देखी ही नहीं…l

                                                                             #संजय वर्मा ‘दृष्टि’

परिचय : संजय वर्मा ‘दॄष्टि’ धार जिले के मनावर(म.प्र.) में रहते हैं और जल संसाधन विभाग में कार्यरत हैं।आपका जन्म उज्जैन में 1962 में हुआ है। आपने आईटीआई की शिक्षा उज्जैन से ली है। आपके प्रकाशन विवरण की बात करें तो प्रकाशन देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाओं का प्रकाशन होता है। इनकी प्रकाशित काव्य कृति में ‘दरवाजे पर दस्तक’ के साथ ही ‘खट्टे-मीठे रिश्ते’ उपन्यास है। कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता की है। आपको भारत की ओर से सम्मान-2015 मिला है तो अनेक साहित्यिक संस्थाओं से भी सम्मानित हो चुके हैं। शब्द प्रवाह (उज्जैन), यशधारा (धार), लघुकथा संस्था (जबलपुर) में उप संपादक के रुप में संस्थाओं से सम्बद्धता भी है।आकाशवाणी इंदौर पर काव्य पाठ के साथ ही मनावर में भी काव्य पाठ करते रहे हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

'बादशाहो' से निराशा

Sat Sep 2 , 2017
समीक्षा…… यह बहुसितारा फ़िल्म शुरु होती है १९७३ के परिदृश्य में,जहां राजस्थान की राजकुमारी गीतांजलि (इलियाना), और उनकी एक राजनेता संजय से बिल्कुल बनती है। देश में आपातकाल लागू होता है,और महारानी से खुन्नस के चलते उनके महल के खजाने को सरकार के हाथों निकलवाने की योजना अमल में लाई जाती […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।