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समीक्षा……
यह बहुसितारा फ़िल्म शुरु होती है १९७३ के परिदृश्य में,जहां राजस्थान की राजकुमारी गीतांजलि (इलियाना), और उनकी एक राजनेता संजय से बिल्कुल बनती है। देश में आपातकाल लागू होता है,और महारानी से खुन्नस के चलते उनके महल के खजाने को सरकार के हाथों निकलवाने की योजना अमल में लाई जाती है।
महारानी का साथ देता है भवानी सिंह(अजय) जो महारानी का विश्वास पात्र है। भवानी अपना दल बनाता है ताकि,महल का सोना दिल्ली पहुँचने से पहले लूट लिया जाए। दल के सदस्य होते हैं दलिया(इमरान),गुरुजी(संजय मिश्रा) और संजना (इशा)।
कहानी कहती है कि,जो खजाना सरकार निकालेगी,उसे लूटकर दिल्ली न पहुँचने देने का काम करना है। सरकार का मेजर सुमेर सिंह(विद्युत जामवाल) महल से खजाना निकालने आता है
फ़िल्म का पहला भाग कसा हुआ और हास्य से लबरेज है। इमरान, संजय एवं सन्नी लियोनी का गाना जो है,लेकिन दूसरे भाग में इस कदर गड़बड़ियां हैं कि, आप कुर्सी तो छोड़ते ही हैं, बार-बार घड़ी भी देखने को मजबूर हो जाते हैं।और मल्टीप्लेक्स दर्शक तो छोड़कर जाए भी कैसे?
‘डर्टी पिक्चर्स’, ‘वन्स अपॉन इन मुम्बई’ फिल्म के निर्देशक ओर लेखक यहां बिखराव में दिखे हैं। ये कहानी फ़िल्म ‘ओशन इलेवन’ हॉलीवुड की याद दिला ही रही थी कि,लूट का दृश्य देख सब कुछ धूमिल हो गया
अजय तथा विद्युत को ऐसी फिल्मों से बचना चाहिए। दूसरे भाग में न केवल कहानी,बल्कि पटकथा में भी झोल-झाल आ जाते हैं।
खैर अंत तक फ़िल्म उबाऊ हो जाती है।
फ़िल्म से हट के अजय की बात करें तो ७ फिल्में १०० करोड़ी क्लब में दे चुके हैं।
और उनकी फैन फॉलोइंग भी वैसी ही है,यहां तो बहुसितारा फ़िल्म है। वैसे इमरान का क्रेज भी देखते ही बनता है।
फिल्म का एक गाना विवाद के बाद हटा दिया गया है। गीत भी अलग-अलग लोगों से लिए गए हैं,जो थोड़ी राहत देते हैं।
फ़िल्म में अजय देवगन के साथ संजय मिश्रा शानदार किरदार निभा गए हैं।
आपातकाल पर मधुर भंडारकर की फ़िल्म आ चुकी है,लेकिन इस फ़िल्म का ट्रीटमेंट बिल्कुल अलग है। परिदृश्य एवं कालखंड वही लिया गया है,परंतु प्रस्तुति अलग है। फ़िल्म में झोल बहुत सारे हैं,जिसने बड़ी स्टार कास्ट को सामान्य कर दिया है।ऐसे में इससे निराशा हाथ लगी है।
कुल मिलाकर फ़िल्म का बजट ७१ करोड़ रुपए वही निकलना मुश्किल लग रहा है। फ़िल्म एतराफ़ (गाव सिंगल स्क्रीन) से बजट निकाल दे तो बहुत है। वर्ना फ़िल्म की कमाई बजट के आंकड़े तक भी न पहुँच पाएगी,ऐसा लग रहा है।
#इदरीस खत्री
परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।
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