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कहें क्या बात हम अपनी,
हमारी बात ही क्या है।
जमाने के सताए हैं,
जमाने की कहें क्या हम?
बात ही बात में जज्बातों की
कुछ बात कहते हैं,
जमाना है किसी का न।
सभी स्वार्थ के हैं साथी,
बेबात कोई भी न मिला।
दोस्त तो न मिला कोई,
दुश्मन ही सरे राह मिले।
गैर तो गैर ही थे,
अपने भी पराए निकले।
बात जब चल ही गई,
बातों ही बातों में।
बिना बात बातों का ,
बतंगड़ न बना दे कोई।
बात में दम इतना,
कि बेदम कर दे।
तीर-तलवारों को हरा दे,
गोली बारुद से भी
तेज है बातों का असर।
घाव तो ठीक हो,
गोली व बारुद का भी।
बातों से लगा घाव,
कभी न भर पाए।
बात बनाने की ,
हमें आदत ही नहीं।
बात ही बात में,
बात बनती ही गई।
बात संभल कर ,
जरा अपनी रखिए।
बात बिगड़ जाए,
तो फिर क्या कहिए।
कहें क्या बात हम अपनी,
हमारी बात ही क्या है॥
#डॉ.सरला सिंह
परिचय : डॉ.सरला सिंह का जन्म सुल्तानपुर (उ.प्र.) में हुआ है पर कर्म स्थान दिल्ली है।इलाहबाद बोर्ड से मैट्रिक और इंटर मीडिएट करने के बाद आपने बीए.,एमए.(हिन्दी-इलाहाबाद विवि) और बीएड (पूर्वांचल विवि, उ.प्र.) भी किया है। आप वर्तमान में वरिष्ठ अध्यापिका (हिन्दी) के तौर पर राजकीय उच्च मा.विद्यालय दिल्ली में हैं। 22 वर्षों से शिक्षण कार्य करने वाली डॉ.सरला सिंह लेखन कार्य में लगभग 1 वर्ष से ही हैं,पर 2 पुस्तकें प्रकाशित हो गई हैं। कविता व कहानी विधा में सक्रिय होने से देश भर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख व कहानियां प्रकाशित होती हैं। काव्य संग्रह (जीवन-पथ),दो सांझा काव्य संग्रह(काव्य-कलश एवं नव काव्यांजलि) आदि पर कार्य जारी है। अनुराधा प्रकाशन(दिल्ली) द्वारा ‘साहित्य सम्मान’ से सम्मानित की जा चुकी हैं।
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Thu Aug 3 , 2017
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