माँ-बाप की सेवा..

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घर की रौनक पिता से,उनसे घर की शान,
पिता ईश्वर तुल्य हैं,उनका हो सम्मान।
परवरिश,व भविष्य का,रखते हैं वो ध्यान,
उनके कर्त्तव्यों से ही,सबको मिलता मान।
सभी जरूरतों का वो,रखते सदा ख्याल,
हो समस्याएं जो भी,करते हल तत्काल।
माँ-बाप की सेवा ही,है पूजा के समान,
इस दुनिया में वही हैं,हम सबके भगवान।
हर संकट में साथ खड़े,हौंसला दें बढ़ाए,
कभी साथ न छोड़ते,सबको वो समझाए।
आशीर्वाद से सदा,हम सिंचित हो जाएं,
उनकी ही दुआओं से,कष्ट कभी न आएं।
जीवनभर संघर्ष किया,दिया सभी का साथ,
चुनौतियों से डरे न,करके दो-दो हाथ।
नाम को न महत्व दिया,कर गए ऐसा काम,
शिवजी के ही सहारे,जीवन जिया तमाम।
सबका साथ विकास कर,दी सबको पहचान,
खुद की चिंता किए बिना,राह करी आसान।
हर क्षण हर पल याद में,सदैव रहते आप,
आपका आशीष सदा,हरता सब सन्ताप।
परिवार पर बना रहे,आपका शुभाशीष,
अधूरे काम सफल हों,ऐसा दें आशीष।
मिट सकेगी कभी नहीं, ‘संतोष’ की प्रीत,
बदल जाए लाख मगर,ये दुनिया की रीत॥

                                                              #सन्तोष कुमार नेमा ‘संतोष’

परिचय : लेखन के क्षेत्र में सन्तोष कुमार नेमा ‘संतोष’ जबलपुर से ताल्लुक रखते हैं। आपका जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के आदेगांव ग्राम में 1961 में हुआ है। आपके पिता देवीचरण नेमा(स्व.) ने माता जी पर कई भजन लिखें हैं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है।1982 से डाक विभाग में सेवारत होकर आप प्रांतीय स्तर की ‘यूनियन वार्ता’ बुलेटिन का लगातार संपादन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भी प्रांतीय सचिव चुने जाने पर छत्तीसगढ़ पोस्ट का भी संपादन लगातार किया है। राष्ट्रीय स्तर पर लगातार पदों पर आसीन रहे हैं।आपकी रचनाएँ स्थानीय समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपती रही हैं। वर्त्तमान में पत्रिका के एक्सपोज कालम में लगातार प्रकाशन जारी है।आपको गुंजन कला सदन (जबलपुर) द्वारा काव्य प्रकाश अलंकरण से सम्मान्नित किया जा चुका है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में भी आप सक्रिय हैं।आपको कविताएं,व्यंग्य तथा ग़ज़ल आदि लिखने में काफी रुचि है। आप ब्लॉग भी लिखते हैं। शीघ्र ही आपका पहला काब्य संग्रह प्रकाशित होने जा रहा है।

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