छिन्न-भिन्न कर दीजिए,उनके सारे अंग,
जो सैनिक को पीट कर,दिखा रहे थे रंग।।
फारुख अब्दुल्ला कहे,’राइट’ पत्थरबाज,
सेना को ही सौंप दो,खल का करे इलाज।।
मणिशंकर चिल्ला रहा,जैसे ऊदबिलाव,
इसे जीप पर बाँधकर,इक-दो गली घुमाव।।
बेशर्मी की हद करे,सुश्री शबनम लोन,
कोई मुझको दीजिए,इस हरहठ का फोन।।
महबूबा के मोह को,छोड़ दीजिए यार,
पत्ती-डाली छोड़कर,जड़ में करो प्रहार।।
मोदी जी इस तरह की,मत पहुँचाओ पीर,
ऐसे में तो आ चुका,’पीओके-कश्मीर’।।
पूरे हिंदुस्तान ने,दिया तुम्हें जो मान,
मोदी साहेब मत करो,जज्बे का अपमान।।
काश्मीर धूँ-धूँ जले,सुलग रहा बंगाल,
इस चुप्पी पर हे नमो,डूब मरो तत्काल।।
बम किस खातिर बने हैं,क्यों लाए हथियार,
‘तोप-मिसाइल’ शस्त्र का,डालो चलो अचार।।
भूल गए हम सर्जिकल,भूला सारा प्यार,
या तो गद्दी छोड़ दो,या अब करो प्रहार।।
#सुरेश मिश्र
परिचय : सुरेश मिश्र मुम्बई में रहते हैं। आप वर्तमान में हास्य कवि के रुप में कई मंचों से काव्य पाठ करने के अनुभवी हैं। कवि सम्मेलनों में मंच संचालन भी करते हैं।