वो बैठे फेसबुक खोले

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ajay ahsas

नभ चाहें धरती डोले, वो बैठें फेसबुक खोले
उंगली करें होले होले,वो बैठें फेसबुक खोले!
दुनिया भर के दोस्त बना दे, ये इण्टरनेट साइट, गीदड़ भी है यहाँ गरजते होकर इकदम टाइट।
हैलो हाय बोलते रहते, हाउ आर यू कहते ,
सुन्दरियों को देख एक पे सौ रिकवेस्ट हैं करते।
हो स्वीकार थैंक्स बोले, वो बैठें फेसबुक खोले।
उनकी एक पोस्ट आये तो मिले हज़ारों लाइक, हमको तो लाइक करके भी कर देते अनलाइक।
लोमड़ सी तस्वीर है उनकी , फिर भी कहते नाइस
बोलें आओ हम तुम मिलकर बैठें पीयें स्लाइस।
चाहे हो शरबत घोलें, वो बैठें फेसबुक खोले।
अपने बारे मे लिखतें हैं आइ एम एलोन,
सूटों वाली फोटो लगाते चाहें हो लाखों का लोन।
प्रोफाइल मे लगा दिये हैं जाब मेरी सरकारी ,
खेती करते घर पर बैठें या बेचें तरकारी ।
घर चाहें आलू छीलें,वो बैठें फेसबुक खोले।
बूढ़े भी  हैं लिखते आजकल आइ एम स्टूडेन्ट,
सोच रहें हैं इसी उमर में हो लव एक्सीडेन्ट।
दाँत दिखे न स्माइल में खाली दिखे मसूड़ा,
फिर भी चाह रहें हैं उनके बाल में बाधें जूड़ा।
दाँत नहीं जब मुँह खोले,वो बैठें फेसबुक खोले।
लडका बोले सिवा तुम्हारे नहीं है कोई खास,
जान गई बस मुझ पर निर्भर न डाले वो घास।
कभी जो उनका मैसेज आये हाय हैलो हो कैसे ,
भैंस से जैसे जोंक चिपकता वो चिपके हैं ऐसे ।
खाते दिनभर हिचकोले,वो बैठें फेसबुक खोले।
सब लेखक बन जाते जिनको है न कोई काम,
दिन भर डोले उस साइट पर जहाँ लगा है जाम।
कभी-कभी तो भाग दौड़ में वो लंगड़े हो जाते,
पाले जब अच्छे मोटे तगड़े के वो पड़ जाते।
गिरते जब उसके शोले,वो बैठें फेसबुक खोले।
चिट्ठी वाली बातें जब भी याद हमे आ जाये,
बन्द करें पलकें झर झर झर आँसू बहता जाये।
आज हो रही विडियो कालिंग सब हो गया खिलौना ,
प्रेम हो गया दूषित अब करते दुष्कृत्य घिनौना ।
लोग बदलते अब चोले,वो बैठें फेसबुक खोले।
अपनों का अपमान विदेशी का करते सम्मान ,
कहते हम सब बना रहें हैं भारत देश महान।
लज्जा हया शर्म सब छोड़े वेश का किया विनाश ,
कहते हैं हो रहा है अपने देश का पूर्ण विकास ।
बेशर्मी के खोले झोलें,
वो बैठें फेसबुक खोले!!

#अजय एहसास

परिचय : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सुलेमपुर परसावां (जिला आम्बेडकर नगर) में अजय एहसास रहते हैं। आपका कार्यस्थल आम्बेडकर नगर ही है। निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ हिन्दी भाषा के विकास एवं हिन्दी साहित्य के प्रति आप समर्पित हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।