विरह की पीड़ा

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विरह की पीड़ा
जब लगी,
सताने,अधरों
ने खींची लाली..
रात तले अंधियारा,
मुझसे रह रह पूछे..
तू कोन है ?
पर मेरे……..
शब्द सब मौन है।
खिड़की से हवाये,
घुटन साथ लाई..
सूरज के जलते,
पैर….रात अंधेरे
को भटका आई…
दबे पांव ,चंदा जो,
मेरे आंगन आया…
तारों का सरदार ,
मुझसे रह रह पूछे ..
तु कौन है ?
पर मेरे………
शब्द सब मौन है।
धूप खड़ी, चिलमिला रही,
पेड़ छाया को ,तरस रहे
सागर भीगा ,ठिठुर रहा
धरा शून्य सी ,ताक रही
कोयल की टोली,
मुंडेर पर बैठे,…
मुझसे रह रह पूछे..
तू कौन है ?
पर मेरे………..
शब्द सब मौन है
विरह वेदना ,सुलग रही
अग्नि तपिश में ,
झुलस रही …….
मछलियां जल में डूब रही
जल भवँर में फंसा हुआ
परियो की टोली आ,
मुझसे रह रह पूछे…
तू कौन है ?
पर मेरे………
शब्द सब मौन है।


(आयुषी भंडारी)
(इंदौर मप्र)

परिचय

नाम-कवियत्री आयुषी भंडारी
शिक्षा- MBA in HR & marketing
सम्प्रति- कवि / लेखिका
जन्म तिथि-14 जनवरी 1994
निवास- इंदौर मप्र
लेखन-गीत, मुक्तक,सबरस कविताएं,गजल,कहानी, संस्मरण इत्यादि
साहित्यिक उपलब्धि-
विगत पाँच वर्षों से 40 से अधिक मंचो पर काव्यपाठ, साहित्यिक पत्रिकाओं एवं अखबारों में रचनाओं का प्रकाशन, टीवी चैनल्स पर काव्यपाठ,

विश्व कीर्तिमान
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

सम्मान-
● अतुल्य मध्य भारत अवार्ड,
● साहित्य संगम सम्मान,
● शब्द कीर्ति सम्मान
● वुमन एम्पावरमेंट अवार्ड, इंदौर

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