ढूंढता हूं जिसे कि, वो मुझे नहीं मिलती चाहता हूं जिसे कि, वो मुझे नहीं मिलती दर्द का रिश्ता हमारा रहा है सदियों से दुकां में ढूंढी खुशी, वो मुझे नहीं मिलती।। मिली जो पहली नजर, वो मुझे नहीं मिलती रखा था जिसकी खबर, वो मुझे नहीं मिलती तरस गये […]

तू तो मुझको याद है चाहे, याद मेरी तुझे न आये इतना सदा याद रखना कि, तुझ बिन कुछ भी ना भाये। बरसातें ये रिमझिम रिमझिम, कतरा कतरा यादें हैं बारिश की बूंदों सी टिप-टिप, आंख से गिरते वादे हैं थोड़ा भी ना बदल सके हम, आज भी कितने सादे […]

ये है वर्तमान परिवेश, ये है वर्तमान परिवेश।। दम तोड़ती है इन्सानियत,इन्सान बचा है शेष कोई है अधकचरा शिक्षक, नेतागीरी करता गपशप छोटी सी भी गलती पाकर, शिक्षक पीटे थपथप थपथप बच्चा जो स्कूल को जाये, देता है शिक्षक को गाली जब घरवाले ये सुनते है, देते शाबासी और ताली […]

ऐ दोस्त तेरी दोस्ती में सब छुपाता आ गया मेरे लिए दुश्वारियां परेशानियां साजिश किये वो कुछ भी ना कर पायेगा मैं फिर बताता आ गया। साजिश करे मैं जाउं फंस दुख हो उसे मुझे देख हस वो चाहता है द्वन्द हो आंखों में कुहरे का धुन्ध हो पर सत्य […]

  उत्थान देख गांव की आँखें ये भर गई। हालात देख गांव की आँखें ये भर गई। नाली, खड़ंजे छोड़ो सब वो टूटे फूटे हैं दालान देख मुखिया की आँखें ये भर गई। महिला को चुना मुखिया था इस भोली जनता ने देखा पति -परधान तो आँखें ये भर गई। भीतर वो अपने बंगले […]

मई जून का माह है ऐसा,लगे कि सब जल जायेगा इस गर्मी से हमे बचाने,बादल कब जल लायेगा।। कोई कहता उमस बढ़ी है,किसी के गर्मी सिर पे चढ़ी है खून किसी का उबल रहा है,किसी की बीपी सबपे बढ़ी है जो चिड़ियां दौड़ा करती थी,देखो कितनी सुप्त पड़ी है सोचूं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।