सर्दी आई, सर्दी आई
चारो ओर घना कोहरा लायी।
आग रजाई कम्बल सबके काम आयी।
हरी हरी घास पर कोहरे की बूँद पडे फ्रीज पंखा एसी बंद पड़े
कपडे फूल पहनो वरना,
मम्मी की डांट पडे
सर्दी आई, सर्दी आई
चारो ओर घना कोहरा लायी।
फसलो देखो तैयार खडे
खेतो मे किसान काट रहे
नयी चूडा नयी चावल
कैसे बच्चो के मुँह मे पड़े
सर्दी आई, सर्दी आई
चारो ओर घना कोहरा लायी।
दिन छोटा रात बडा
चले जब पछवा ठंढ बढा
मौसम परिवर्तन हो रहे
सर्दी जुकाम बढ़ रहे
धूप निकले तो रौनक आई
वरना सब दुबक रहे
सर्दी आई, सर्दी आई
चारो ओर घना कोहरा लायी।
नये पक्षियो का
जमावडा होने लगा
भोजन भी स्वादिष्ट लगने लगा
दिन की धूप सेकाई
गप्पो की पाठशाला हो जैसे
ऊन और कांटे हाथो में चमकने लगे
रंग बिरंगे स्वेटर और जैकेट
सब पहनने लगे
पतले भी मोटे दिखने लगे
सर्दी आई, सर्दी आई
चारो ओर घना कोहरा लायी।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति