अदालतों से अंग्रेजी को भगाओ

1
0 0
Read Time3 Minute, 47 Second

vaidik

कानून और न्याय की संसदीय कमेटी ने बड़ी हिम्मत का काम किया है। उसने अपनी रपट में सरकार से अनुरोध किया है कि,वह सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों में भी भारतीय भाषाओं के प्रयोग को शुरु करवाए। उसने यह भी कहा है कि,इसके लिए उसे सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति या सहमति की जरुरत नहीं है, क्योंकि संविधान की धारा 348 में साफ-साफ लिखा है कि यदि संसद चाहे तो उसे भारतीय भाषाओं को अदालतों में चलाने का पूरा अधिकार है,पर हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल ही इस तरह की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि इस तरह की मांग करना न्याय-प्रक्रिया का दुरुपयोग करना है। इसके पहले विधि आयोग ने अपनी रपट में कहा था कि,हमारी अदालतों में सिर्फ अंग्रेजी को ही बनाए रखना जरुरी है, क्योंकि सारे कानून अंग्रेजी में हैं और जजों का तबादला कई प्रांतों में होता रहता है। वे आखिर कितनी भाषाएं सीखेंगे? विधि आयोग और सर्वोच्च न्यायालय के ये तर्क उनकी भाषाई गुलामी के प्रमाण हैं। यदि सभी प्रांतीय भाषाओं में फैसले देने में कठिनाई है,तो वकीलों को कम-से-कम उन भाषाओं में बहस करने की इजाजत क्यों नहीं दी जा सकती? सर्वोच्च न्यायालय में भी सारी बहस हिन्दी में क्यों नहीं हो सकती? अगले पांच साल के लिए केन्द्र और प्रांतों में ज्यादातर अदालती काम-काज सिर्फ हिन्दी में क्यों नहीं शुरु किया जाता? धीरे-धीरे वह सभी भाषाओं में शुरु हो जाएगा। विभिन्न भारतीय भाषाओं को आपस में लड़ाया इसीलिए जाता है कि,अंग्रेजी बनी रहे, लदी रहे। किस महाशक्ति और संपन्न राष्ट्र में अदालतें विदेशी भाषा में काम करती हैं? सिर्फ भारत-जैसे पूर्व-गुलाम देशों में करती हैं। विदेशी भाषा में कानून बनाना और न्याय देना शुद्ध मजाक है,जादू टोना है। आम आदमी को ठगना है। यह भी सिद्ध करना है कि हमारे वकील और जज आलसी हैं या मंदबुद्धि हैं। यदि सरकार में थोड़ा भी साहस हो तो वह सारे कानून हिन्दी में बनाना शुरु कर दे और सर्वोच्च न्यायालय को संसद आदेश दे दे कि,वह हिन्दी को प्रोत्साहित करे। पांच साल बाद अदालतों से अंग्रेजी को प्रतिबंधित कर दिया जाए। समस्त सरकारी और अदालती काम-काज को अंग्रेजी से हिन्दी में करने और अन्य भाषाओं में करने के लिए एक विशाल अनुवाद मंत्रालय की स्थापना की जाए,लेकिन यह क्रांतिकारी काम करेगा कौन? क्या हमारे नेताओं में इतनी बुद्धि है? उनमें न बुद्धि है,न ही साहस! यह काम तो तभी होगा, जब जनता जबर्दस्त आंदोलन खड़ा करेगी और इस मुद्दे पर सरकारों को गिराने पर कमर कस लेगी।

                                                                                  #डॉ. वेदप्रताप वैदिक

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “अदालतों से अंग्रेजी को भगाओ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

किस पर लिखूं मैं...

Fri Mar 3 , 2017
जिंदगी की कल्पना करूं या,मौत लिखूं.. मैं लिखूं तो आखिर किस पर लिखूं । फूलों की क्यारियों में है कांटों की चुभन भी, महकते कश्मीर में है बारूद की धमक भी.. इंसान की मासूमियत कहूं या जुल्म लिखू मैं, लिखूं तो आखिर किस पर लिखू मैं । एकता में घुल […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।