सो जाऊँ*

0 0
Read Time2 Minute, 45 Second

babulal sharma

आज नहीं  मन पढ़ने का,
आज नहीं,मन लिखने का।
मन विद्रोही,निर्मम  दुनिया,
मन की पीड़ा किसे बताऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

मन में कई तूफान मचलते,
घट मे सागर भरे छलकते।
तन के छाले घाव बने अब,
उन घावों को ही सहलाऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

तन थकता,मन उकताता,
याद करूं कुछ खो जाता।
तन में मन में तान मिले न,
कैसे  स्वर संगीत  सजाऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

जय जवान के नारे सुनता,
सेना के पग बंधन सुनता।
सैनिक लाचार बढ़े आतंकी,
कैसे  अब नव गीत बनाऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

जय किसान अन्न दाता है,
धान कमाए,गम खाता है।
आजीवन जो कर्ज चुकाये,
उनके कैसे  फर्ज  निभाऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

गंगा,गैया,धरती अरु नारी,
जननी के प्रति रुप हमारी।
रोज विचित्र कहानी सुनता,
कैसे अब  सम्मान  बचाऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

जाति धर्म  में बँटता मानव,
वोट के खातिर नेता दानव।
दीन गरीबी बढ़ती जाती है,
कैसे  किसको धीर बंधाऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

रिश्तों के अनुबंध उलझते,
मनके चाहे पैबन्द उघड़ते।
नेह स्नेह की रीत नहीं अब,
प्रीत लिखूँ तो किसे सुनाऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

वे , संस्कार मरयादा वाली,
नेह स्नेह की झोली खाली।
मातृशक्ति अपमान सहे तो,
माँ का प्यार कहाँ से लाऊँ,
माँ के आँचल में सो जाऊँ।

नाम- बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सूखे दरख़्त का ठूँठ

Mon Jul 16 , 2018
मैं  वो  सूखे  दरख़्त  का  ठूँठ  हूं, जो  औरों  के बहुत काम आया । पड़ा   हूं  आज  मैं  बीच  राह  में, ठोकरों का सिर पे इल्जाम आया। जब  तक  जुड़ा  रहा  मैं  जड़ों से, अपने  में  जहां  समेटे  खड़ा था । बदले   कई   मिजाज   मौसम  ने, […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।