शारदे नमन तुझे, अज्ञान है मुझे। ज्ञान के बहाव से, मुझे आर-पार कर।
तुम बिन ज्ञान नहीं,
तुम बिन मान नहीं।
तेरी वाणी का अब विस्तार कर।
हर संगीत तेरा, हर शब्द तेरे हैं
तुझसे ही गीत और साज भी तेरे हैं।
मैं तेरी दया पर हूँ, मुझ पर उपकार कर।
ज्ञान का तू संचार, मेरा बेड़ा पार कर॥
वाग वादिनी,ज्ञान दायिनी, पुस्तक धारिणी,
बहु नाम तेरे हैं।
सहज सुंदर मधुर स्वर तेरे हैं,
तेरे ही दम पर सुर-ताल-लय हैं।
सत्य-संयम-स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान को मुझमें भर दे।
क्षमा को निभा सकूँ, स्नेह लुटा सकूँ
ऎसे वरदान से, मुझे तर कर तू॥
#टीना जैन
परिचय: टीना जैन पुश्तैनी परम्पराओं के लिए प्रसिद्ध राज्य राजस्थान से है। १९८० में आपका जन्म हुआ और शिक्षा स्नातक सहित एम.ए., बी.एड. तथा एम.एड. भी है। बतौर गृहिणी आप शहर उदयपुर के खेरवाड़ा (तहसील रोड) में रहती हैं। आपकी रुचि कविता लेखन में है।