विशाल जग के अंतर्जाल में खोया सा, स्तब्ध सा, अंतर्मन की बेचैनी लिए मन तलाश रहा उस बिन्दु को कहीं दिख जाए शून्य में जीवन का सारांश प्राणचातक तरस रहे रजनीभर कहीं अरुणाभ उजाला दिख जाये| मैं खोजता रहता हूँ इस शून्य संसार में फिर से नई चिंगारी मिल जाये, […]