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पलक झपकते खड़ी इमारत
ढह जाती है।
अपने पीछे एक कहानी
कह जाती है॥
नींवों के पत्थर से मत
छेड़ा-छाड़ी कर।
नई-सीख़ पछतावा बनकर
रह जाती है॥
#रत्नेश रतन
परिचय: रत्नेश रतन उत्तरप्रदेश के सिद्धार्थ नगर स्थित बांसी में रहते हैं।आपका वास्तविक नाम रत्नेश्वर कुमार चतुर्वेदी है। आप हास्य और व्यंग्य लेखन करते हैं।
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