बस मोबाइल में टक-टकी लगाए इस डिजिटल की दुनियां में पोते-पोतियों का चेहरा तो दिख जाता है,लेकिन गले लगाने को तो तरस गई हूं। “खुद ही खुद बड़-बड़ा रही थी”   वह भी क्या दिन थे जब दोनों बेटों की किटर-किटर,एक दूसरे की चुगली,एक दुसरे को फिर बचाना, उनकी […]

पथरीले उन रस्तों से बहते बहते मैंने जाना चलना क्या होता है चलता तो सूरज भी है आसमान पर तपना उसकी नियति है फिर मैं तो नदी हूँ शीतल हूँ अपनी शीतलता सूरज के तपने से कम तो नही फिर अन्तर क्यूँ पाती हूँ क्या मैं नदी हूँ इसीलिए…. #डॉ.प्रीति […]

आधुनिकता से भरी दौड़ मे, भागते जा रहे हम। राष्ट्रभाषा को छोड़ पीछे,आंग्ल को अपनाते जा रहे हम। राष्ट्र भाषा का जन्मदिवस,आधी आबादी को याद नही। वैलेंटाइन, रोज डे,और न जाने क्या-क्या नए दिन मना रही। सम्मान से बोले अपनी भाषा, तभी प्रसन्न होगी भारत माता। कई बड़े कवियों के […]

  बहुत वक़्त गुज़रा है, वक़्त को तराशते हुए। घुप्प अँधेरे में माचिस, तलाशते हुए।। अब नहीं है वक़्त कि, ख़ुद को शो-पीस बना लें। अब सही वक़्त है कि ख़ुद को माचिस बना लें।। ताकि जल सकें मोमबत्तियाँ,जल सकें मशालें। ताकि लौट जे आ सकें ,फिर से उजालें।। बहुत […]

आकाश में बैठी बैठी यूं ऐसे है क्यों इतराती तू ऐ घटा सांवली ये तो बता धरती पे क्यों नहीं आती तू..!! सूखे खेतों की आस है तू मरू स्थल की प्यास है तू दृग में तो तू बरबस छाती मन गागर क्यूं नहीं भर जाती..  अपनी बूंदों से कृषक […]

1

तिमिर हुआ रुखसत रात का स्वर्णिम भोर स्याह को हर ले ऊषा झांक रही झुरमुट से आ उसको बाहों में भर ले.. बीती जो बातें कल की थीं आज को अपने उज्जवल करके.. ऊषा झांक रही… स्वपन चुनौती गया है देकर सच करने का साहस कर ले ऊषा झांक रही.. […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।