बहुत वक़्त गुज़रा है, वक़्त को तराशते हुए।
घुप्प अँधेरे में माचिस, तलाशते हुए।।
अब नहीं है वक़्त कि, ख़ुद को शो-पीस बना लें।
अब सही वक़्त है कि ख़ुद को माचिस बना लें।।
ताकि जल सकें मोमबत्तियाँ,जल सकें मशालें।
ताकि लौट जे आ सकें ,फिर से उजालें।।
बहुत ज़रूरी है कि ख़ुद, को माचिस बना लें।।
जब तलक आयेगा न कोई ख़ुद को जलाने वाला।
ये अँधेरा संशय का यूँ ही नहीं जाने वाला।
उजालों को अग़र फिर से लाना होगा तो कहीं न कहीं से ख़ुद को जलाना होगा।
अपने अंदर दबे हुए बारूद को खंगालें।
बहुत ज़रूरी है कि ख़ुद को माचिस बना लें।।
इससे पहले कि कोई ज़िन्दगी के कोरे पृष्ठों को काले कर दे।
इससे पहले कि कोई दिल,जिगर,ज़ेहन और रूह में छाले कर दे।
इससे पहले कि कोई ख़त्म उजाले कर दे।
इससे पहले कि कोई हमें अपनी हवस के हवाले कर दे।
आओ, उठे और उठकर ऐसे हालात को संभालें।
बहुत ज़रूरी है कि ख़ुद को माचिस बना लें।।
इससे पहले कि कोई मासूम-सा ख़्वाब बेवक़्त टूट जाये।
इससे पहले कि कोई बचपन या यौवन लूट जाये।।
इससे पहले कि कोई दर्द उठे कोई चीख़ उठ जाये।
इससे पहले कि कोई दम बेदम होके छूट जाये।
आओ इस भीड़ को चीर कर कोई रास्ता निकालें।
बहुत ज़रूरी है कि ख़ुद को माचिस बना लें।।
इससे पहले कि कोई,आँखों के लिए ग़म का पानी लिखे।
इससे पहले कि कोई आंसुओं से कहानी लिखे।
इससे पहले कि कोई ज़हनों में हैरानी लिखे।
इससे पहले कि कोई लुट गई जवानी लिखे।
आओ, अपनी अज़्म को अपनी ताक़त मज़बूत बना लें।
बहुत ज़रूरी है कि ख़ुद को माचिस बना लें।।
परिचय :
नाम—श्रीमती प्रीति कांबले “”बरखा”बालाघाट (मध्यप्रदेश)
सम्प्रति——1.प्रतिनिधि,”साहित्य कलश”साहित्यिक पत्रिका” पटियाला(पंजाब) 2.उपाध्यक्ष,”सहमत” साहित्यिक व सामाजिक संस्था बालाघाट (म प्र)
प्रकाशन—अनेक संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओं में
प्रसारण—आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से
प्रस्तुति—-“बहुत ख़ूब” धमाल ,दबंग चैनल,
कवि समेलनों में काव्य पाठ एवं संचालन
सम्मान—महाकवि शेक्सपियर अंतर्राष्ट्रीय सम्मान,कवियत्री महादेवी वर्मा सम्मान,मातोश्री रमाबाई भीमराव आंबेडकर फेलोशिप अवार्ड,बीसवीं शताब्दी रत्न सम्मान,आधुनिक सुभद्रा कुमारी चौहान ,कटनी रत्न 2008,क्रांति ज्योति सावित्री बाई फुले सम्मान,डॉ लक्ष्मीनारायण दुबे स्मृति सम्मान सहित अनेक सम्मानोपाधियों से अलंकृत….!!!
विधा—-कविता,ग़ज़ल,नज़्म, मुक्तक़,लघुकथा…!!!
प्रकाशनाधिन—मुक्तक़ संग्रह,लघुकथा संग्रह…