प्रिय देशवासियों !  स्वाधीनता संग्राम के दौरान स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा पर ज़ोर दिया गया था। यह हमारा राष्ट्रीय मत था कि बिना स्वदेशी और स्वभाषा के स्वराज सार्थक सिद्ध नहीं होगा। हमारे तत्कालीन राष्ट्रीय नेताओं, विद्वानों, मनीषियों एवं महापुरुषों की यह दृढ़ अवधारणा थी कि कोई भी देश अपनी स्वाधीनता को […]

हिंद के इस सरजमीं पर, अंग्रेजों का ताना-बाना है। राजभाषा को तुच्छ समझते, ये कैसा मनमाना है।। हिंदी से ही सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, हिंदी से ही हम सब की परिपाटी है। पुरा समय से भारत मां की वंदन करती, हिंदी से ही हिंद की अनुपम माटी है।। हिंदी और हिंद […]

कुछ लोगों का मानना है कि गांधी की हत्या गोडसे ने की,लेकिन यह जायज हत्या नहीं है। वो भी गांधी जैसे व्यक्तित्व की हत्या ? ? ? मेरा प्रश्न है कि गांधी के संदर्भ में हत्या भी क्या कभी जायज हुआ करती है ? ? ? गांधी जी की हत्या […]

  कोई औपचारिकता नहीं, इसलिए बने बनाए शब्दों का सहारा भी नहीं…। मैं नहीं चाहता कि, बरसों के घिसे-पिटे शुभकामनाओं के शब्दों को फ़िर से थोप दूं तुम पर, जैसा दुनिया करती आई है। मैं नहीं देता हूं तुम्हें… कोई बधाई या शुभकामनाएं, ‘इस अशुभ समय में’ अगर दूं तो […]

क्या राष्ट्रवाद की अधिकता साम्राज्यवाद, फांसीवाद में परिणित हो जाती है ? जी हाँ,राष्ट्रवाद की अधिकता का परिणाम भी साम्राज्यवाद,फांसीवाद में देखा जा सकता है। जब कोई राष्ट्र,राष्ट्र निवासी अपनी सांस्कृतिक,ऐतिहासिक परम्परा में ग्रस्त होकर मोहान्ध हो जाता है,तब ऐसी स्थिति को देखा जा सकता है। एक राष्ट्र, निर्वासित जाति […]

किसी ने न जलाई मोमबत्ती, अफ़ज़रुल ख़ान के लिए कोई भी न लड़ सकता उसके हताश,बेसहारा, परिवार के लिए। एक धधकता हुआ समाचार बनकर रह गई उसकी निर्मम हत्या, एक सीमित समुदाय तक जुड़कर रह गई संवेदनाएँ। क्योंकि वो एक मज़दूर था, वह बड़ा मजबूर था बिलख रहे हैं अब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।