इस ज़मी पे इक मैं हीं क्यूँ हूँ इतनी तन्हा.सी प्यार के हसी मंज़र से मुझे भी मिलाया होता चलते रहे बेसुध जानी अंजानी राहों पर हम ठहर जाते गर मंजिलें पता मैंने भी पाया होता निगाहें हटती नहीं फ़लक की ओर जो उठी .. काश ख़ुदा ने मेरे हक़ […]

गुमनाम सी खुशियाँ दस्तक दे जाती है कभी कभी.. हौले हौले से दरवाजे पे आकर ठिठक सी जाती है … ना जाने क्या सोच कर पल भर वही ठहर .वापिस लौट जाती है …. शायद वक़्त नहीं है उसके पास या नहीं हूँ इस क़ाबिल कि वो मेरे दामन में […]

   *ज़ी करता है तुझे याद आऊँ अब* क्यूँ न हर पल तेरी आग़ोश में बिताऊं अब दिल के दाग जुदाई वाले तुझे मैं दिखाऊँ अब थक गई हूँ मैं तुझको  याद करते करते हो ऐसा की मैं तुझको याद आऊँ अब. ख़्वाबों में मिलती रही तुझे मैं शामों सहर […]

क्यूँ मेरी ज़िंदगी भी    पर्दे सा किरदार निभा रही है.. ज़रूरत के हिसाब से   कभी गिराई जा रही हूँ .. तो कभी उठा दी जाती हूँ …   जिसको जैसी ज़रूरत वैसी ही मुझसे अदाकारी करवाई जा रही है .      मेरे वजूद का क्या…. मेरी मनमर्ज़ीयों […]

तेरे कांधे पे जब मेरा सर होगा मेरे अश्कों से भीगा फ़िर तेरा भी चेहरा होगा दो बूँदे जो तेरे पलकों पे ठहर जाएँगी .. उसपर भी हमारी मुहब्बत का पहरा होगा छुपा सकोगे तुम भी क्या ग़मो की सिलवटों को फ़िर अधूरी सी हमारी चाहतों का हम दोनो के […]

अनकही सी लबों पे रूकी ख्वाहिशें   सहमी सी गुमशुदा सी .. हुई मुहब्बत में मैं लापता सी … इक खता की  हुई ख़ुद से भी मैं जुदा सी .. इक जफा जो .. बनी सजा हीं.. पर दबी रही रूह में उमर भर की वफ़ा भी हरकत लफ़्जों की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।