तमाशा हूँ मैं ओर,ज़िंदगी बनी तमाशबीन

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deji bedi juneja
क्यूँ मेरी ज़िंदगी भी
   पर्दे सा किरदार निभा रही है..
ज़रूरत के हिसाब से
  कभी गिराई जा रही हूँ ..
तो कभी उठा दी जाती हूँ …
  जिसको जैसी ज़रूरत
वैसी ही मुझसे अदाकारी करवाई जा रही है .
     मेरे वजूद का क्या….
मेरी मनमर्ज़ीयों की धज्जियाँ क्यूँ उड़ाई जा रही है
क्यूँ मेरी मजबूरियों पे फिल्म बनाई जा रही है
  हर किरदार सहेजती आई हूँ ..
  हर इक रूठे को मनाती आई हूँ …
मेरी सहनशक्ति को क्यूँ मेरी कमजोरी बनाई जा रही है ..
  क्यूँ मेरी ज़िंदगी
पर्दे के किरदार में मुझसे मिलने आई है …
 ज़रूरत_ए_तमाशा खत्म तो
परदा_ए_वजूद गिरा दिया …
  फ़िर हुई गर ज़रूरत तो
पर्दा_ए_किरदार  उठा दिया …
  कभी रौंदा जज़्बातों को तो
कभी मेरे एहसासों को सुला दिया …
यूँही तमाम उम्र …मेरी ज़िंदगी
ख़ुद तमाशबीन बन …
मुझसे तमाशा करवाती रही है ..
       क्यूँ …हाँ क्यूँ
       मेरी ज़िंदगी यूँही पर्दे का किरदार निभा रही है …
        जिसको जैसी ज़रूरत
        मुझसे वैसी अदाकारी करवाई जा रही है
#डेज़ी बेदी जुनेजा
परिचय-

नाम………डेज़ी बेदी जूनेजा 
जन्मतिथि……1मई 
पता…….मोहाली (चंडीगढ़ )

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।