एक मुलाक़ात

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deji bedi juneja
   *ज़ी करता है तुझे याद आऊँ अब*
क्यूँ न हर पल तेरी आग़ोश में बिताऊं अब
दिल के दाग जुदाई वाले तुझे मैं दिखाऊँ अब
थक गई हूँ मैं तुझको  याद करते करते
हो ऐसा की मैं तुझको याद आऊँ अब.
ख़्वाबों में मिलती रही तुझे मैं शामों सहर
है चाहत की हक़ीक़त में तेरी बन जाऊँ अब
धुँआ इश्क़ का आँखो को जलाने लगा है ..
क्यूँ न क़तरा ए बूंद पलकों से गिराऊँ अब..
बुझा न सका प्यास इक कतरा भी समंदर का
दर्द की लहरों से क्यूँ ना प्यास बुझाऊँ अब…
दीद तेरे की प्यासी डेज़ी तुझे कैसे दिखाऊँ अब
क्या मेरे दर्द का पानी तेरी आँख से बहाऊँ अब..
इक ज़माने से तुझको यूँ पुकारा किए हैँ  हम….
तूं जो पुकार ले तेरे दर पे सांसे छोड़ जाऊँ अब….
#डेज़ी बेदी जुनेजा
परिचय-

नाम………डेज़ी बेदी जूनेजा 
जन्मतिथि……1मई 
पता…….मोहाली (चंडीगढ़ )

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।