कभी कभी ये दिल, बहुत उदास होता है। पर जब भी याद, आप की आती है । तो खुशी से दिल, मेरा झूम उठता है। ऐसा क्या है आपमे ? जो इस नचीज के, दिलको बहुत भाता है।। मेरी तन्हाईयाँ मुझ से, ये ही पूछती है । क्यो तुम किसी […]

कितना कुछ बदल रहा है अब और न जाने आगे कितना कुछ और भी बदलेगा / संसार के सुख में और अपने सुख में बहुत कुछ अंतर होता है / संसार का सुख और दुःख तो प्रत्येक इंसान को भोगने को मिलता है यदि उसने इस संसार में मानव जन्म […]

जब भोर हुए आना।, जब शाम ढ़ले आना / संकेत प्रभु का तुम भूलना जाना, जिन्नेंद्रालाये चले आना / जब भोर हुए आना।, जब शाम ढ़ले आना / मैं पल छीन डगर बुहारूंगा, तेरी राह निहारूंगा / आना तुम मंदिर, दर्शन को , श्रीजी की पूंजा तुम दिन करो / […]

1

विद्यासागर जी की राह निहार के। मुंबई वाले कब से खड़े है इंतजार में  / सब की अँखियों के नूर, सब के दिलो के सुरूर / चाहे रहो कितनी दूर,लाना है मुंबई में ज़रूर // विद्यासागर जी की राह निहार के। मुंबई वाले कब से खड़े है इंतजार में  / […]

दोस्तों आज हमारा देश जिस दौर से गुजर रहा है उस सब के जिम्मेदार भी हम सभी लोग है / यदि समय रहते पहले से ही हम और आप शतर्क हो जाते तो शायद हमें आज ये दिन देखने को नहीं मिलते / पहले तो  हम लोग सस्ते समाने समझ […]

 परिणामों से बचो, मनुष्य धर्मस्थानों में बंधता है या सब जगह बंधता है? व्यापार करते हुए, भवन बनवाते समय या चाहे जो पाप क्रिया करते हुए मनुष्य बंध सकता है या नहीं? मनुष्य किसी भी जगह और किसी भी अवस्था में बंध सकता है। इसलिए यथासंभव परिणामों में बिगाड़ हो, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।