तेरे प्रेम की

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shivanand chobe

तेरे प्रेम की गर गली जो न होती

दिले चोट हम कैसे खाकर के जीते —

न होता तेरा गर ये इश्के समन्दर

तो प्यासों को कैसे बुझाकर के जीते —

न होता तेरे प्रेम का ये तराना

तरन्नुम को हम कैसे गाकर के जीते–

अफ़साना होता जो गर उल्फतों का

 दास्ताए मोहब्बत सुनाकरके जीते –-

कुमुदनी न होती जो गर महफ़िलो की

तो गैरों के घर हम न जाकरके जीते –-

न होता समन्दर में गर तेरे पानी

सुखी नदियों में नावे चला करके जीते –-

ऐ दिले वेवफा जो न करती वफा

बिन तेरे हम न महफिल सजा करके जीते –-

जो न होता तेरे मन के मंदिर में मैं

शान से सर को अपने उठाकरके जीते –-

तुम जो रोशन न करती हमारी गली

हम चिरागों को अपने जलाकरके जीते –-

पिलाती जो न आज एक बूंद पानी

पपीहे सा हम तड़फडाकरके जीते –

होती न जो तेरी जन्नत सी वादी

तो हम सुनी गलियों में आकरके जीते

जो न होता तेरा ये उपकार हमपे

तो फिर मौत को हम सजा करके जीते !!

    #शिवानंद चौबे
परिचय: शिवानंद चौबे की जन्मतिथि-१२ अगस्त १९९० है। आपका वर्तमान निवास राज्य उत्तर प्रदेश में ग्राम महथुआ (जिला-भदोही)है। समाजशास्त्र में एम.ए. के बाद अभी एमबीए(त्रिपुरा) जारी है।  कार्यक्षेत्र-शिक्षण ही है। उपलब्धि यह है कि,नेहरू युवा केन्द्र में राज्य प्रशिक्षक( भारत सरकार) हैं। राष्ट्रीय भाषण प्रतियोगिता में जिला स्तरीय विजेता रहे हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सबकेबीच सदाचार और प्रेम बनाए रखना तथा समाज हित की बात सामने लाना है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।