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तीन रंग का,
तिरंगा प्यारा।
लाल किले में
लहराया है।
भारत के हर
बच्चे ने,
घर-घर में तिरंगा
फहराया है।
तिरंगे की जय,
जयकार करें।
तिरंगा सबको,
प्यारा है।
घर-घर में,
फहराए तिरंगा।
संसद में,
फहराए तिरंगा।
पूरब हो या पश्चिम हो,
उत्तर हो-दक्षिण हो,
जगह-जगह फहराया है।
हिमगिरी की चोटी हो,
चाहे काश्मीर की घाटी हो।
अजंता की गुफाएं हों,
कारगिल की उँची चोटी हों।
जगह-जगह लहराए तिरंगा,
आन-बान है जान तिरंगा।
२६ जनवरी गणतंत्र दिवस
पर गली-गली फहराया है।
स्कूल के हर बच्चे के हाथ
में तिरंगा आज लहराया है।
हरा सफेद केशरिया रंग है,
शांति और सदभाव भरा है।
देश की बस है शान तिरंगा,
घर-घर में लहराये तिरंगा।
आन-बान है शान तिरंगा॥
#अनन्तराम चौबे
परिचय : अनन्तराम चौबे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहते हैं। इस कविता को इन्होंने अपनी माँ के दुनिया से जाने के दो दिन पहले लिखा था।लेखन के क्षेत्र में आपका नाम सक्रिय और पहचान का मोहताज नहीं है। इनकी रचनाएँ समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही मंचों से भी कविताएँ पढ़ते हैं।श्री चौबे का साहित्य सफरनामा देखें तो,1952 में जन्मे हैं।बड़ी देवरी कला(सागर, म. प्र.) से रेलवे सुरक्षा बल (जबलपुर) और यहाँ से फरवरी 2012 मे आपने लेखन क्षेत्र में प्रवेश किया है।लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य, कविता, कहानी, उपन्यास के साथ ही बुन्देली कविता-गीत भी लिखे हैं। दैनिक अखबारों-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। काव्य संग्रह ‘मौसम के रंग’ प्रकाशित हो चुका है तो,दो काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। जबलपुर विश्वविद्यालय ने भीआपको सम्मानित किया है।
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Sat Jan 27 , 2018
गली-गली हर चौराहे पर, जन गण मन दिल से गा लें। लोकतंत्र का पर्व आज है, चलो तिरंगा फहरा लें, भाई चलो तिरंगा फहरा लें। वन्दे मातरम वन्दे मातरम, वन्दे मातरम वन्दे मातरम॥ केसरिया है अग्नि ज्वाला, सभी बुराई करता नाश, हरा हमेशा है यह कहता, संवृद्धि खुशहाली पास। श्वेत […]