0
0
Read Time19 Second
हम
सभी में,
कोई न कोई,
जानता है,
देश की हर भाषा।
लेकिन
घोर विडम्बना है,
कि,
हम,
आज तक,
नहीं जान पाए,
अपनी,
देह में अवस्थित,
उस आत्मा की,
ज्ञान-रूपी,भाषा॥
#डा. महेशचन्द्र शांडिल्य
Post Views:
568