जब अर्द्धनग्न शरीर पर कोड़े बरसाएं जा रहें हो, लोहे के सरिये से पीटा जा रहा हो, चमड़े के पट्टे स्त्री की देह नोचते हुए उसे अपराधी सिद्ध करने पर आमादा हो, गुनाह और बेगुनाही के बीच सच्चाई झूल रही हो, जब स्त्री की चीखें उसे विवशता की ओर धकेल […]

प्रेम एक एहसास है। प्रेम एक पूंजा है। प्रेम से होती दोस्ती। प्रेम से बनते रिश्ते । प्रेम बिना सब सूना। प्रेम से ही जीना। प्रेम से जीत जाते, बड़ी सी बड़ी जंग । प्रेम से ही बनते, एक दूसरे से संबंध। प्रेम हो तो खिलते, दो दिलो में फूल। […]

क्यो बार बार मेरे, ख्याबो में आते हो। आकर के मुझको, तुम क्यो तड़पते हो। दिल में जो बात, छुपाकर तुम रखे हो। क्यो नही तुम मुझे, दिल से बताते हो।। क्या मुझसे तुम चाहते, हो हमको बता दो। याद हमे भी तुम, कुछ तो दिला दो। हो सकता तेरी […]

  आजकल हिंदी अपनाने और अंग्रेजी की तिलांजली देने के कर्तव्य और संकल्प दोहराएँ जा रहें है |पर सरकारी कागजों पर हिन्दी कहाँ तक और किस स्तर तक पहुँची इस बात से सब नावाकिफ ही है |भाषा विज्ञानी  डॉ.जय कुमार जलज ने अपने शोध ग्रन्थ ‘भाषा विज्ञान’ में प्रकाशित एक […]

दिल को अब, कैसे हम समझाए । वो मानता ही नही है। और न ही जनता है । बस नाम, तेरा ही लेता है, तेरा ही लेता है ।। यार करू तो क्या करूँ । जो अपनी दोस्ती, अमर हो जाये। कोई तो बात है, हम दोनों में । जो […]

  भारत जैसे जनतांत्रिक देश में इस समय एक पर्व मनाया जा रहा है जिसे आम चुनाव कहते है। इस पर्व का उत्साह तो राजनैतिक लोगों और जनता दोनों में है। किन्तु इस बार यह आम चुनाव कुछ खास है, क्योंकि यहाँ एक तरफ तो सत्ता पक्ष की हाहाकार है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।