“माता दिवस पर मेरी रचना सभी पुत्रो की ओर से अपनी अपनी माताओं के चरणों में समर्पित है” एक अक्षर का शब्द है माँ, जिसमें समाया सारा जहाँ। जन्मदायनी बनके सबको, अस्तित्व में लाती वो। तभी तो वो माँ कहलाती, और वंश को आगे बढ़ाती। तभी वह अपने राजधर्म को, […]

जिंदगी कितनी मिली ये कभी मत सोचो। जिंदगी में क्या कुछ तुम्हें मिला ये सोचो। जिंदगी मिली है तुम्हें कुछ करने के लिए। इसे तुम यूही मत बिना वजह के गवाओं।। जिंदगी को तुम समझो और इसका मनन करो। फिर मायाने जिंदगी के लोगों के जहन में बैठाओं। कर सके […]

खनकती चूड़ियां तेरे मुझे क्यों लुभाती है। खनक तेरी पायल की हमको क्यों बुलाती है। हँसती हो जब तुम तो दिल खिल जाता है। मोहब्बत करने को मेरा मन बहुत ललचाता है।। कमर की करधौनी भी कुछ कहती है। प्यास दिल की वो भी बहुत बढ़ाती है। होठो की लाली […]

उनकी मोहब्बत ने मुझे, लिखना सीखा दिया। लोगों के मन को, पढ़ना सीखा दिया। बहुत कम होंगे जो मुझे, पढ़ने की कोशिश करते है। क्योंकि जमाने वालो ने तो, मुझे पागल बना दिया था। न धोका हमने खाया है, न धोका उसने दिया है। बस जिंदगी ने ही एक, नया […]

मिले हम अपनी कविता, गीतों के माध्यम तुमसे। परन्तु ये तो कुछ, और ही हो गया। पढ़ते पढ़ते मेरे गीतों के, तुम प्रसन्नसक बन गये। और दिल ही दिल में, हमें चाहने लगे। और अपने कमेंटो से, हमें लोभाने लगे।। दिल से कहूँ तो मुझे भी, पता ही नहीं चला […]

इंसान इंसान को समझता है इसलिए वह प्यार करता है। उनके जज्बातो को जानता है इसलिए वह प्यार करता है। और प्यार की परिभाषा को अलग ठंग से पेश करता है। जिस कारण दिलमें कभी उसके शब्दो से दर्द होता है।। उनके गमों से सिखा की दर्द का एहसास क्या […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।