इंसान का दर्द

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इंसान इंसान को समझता है
इसलिए वह प्यार करता है।
उनके जज्बातो को जानता है
इसलिए वह प्यार करता है।
और प्यार की परिभाषा को
अलग ठंग से पेश करता है।
जिस कारण दिलमें कभी
उसके शब्दो से दर्द होता है।।

उनके गमों से सिखा की
दर्द का एहसास क्या होता है।
गिरते हुए इंसान को उठाने
का क्या एहसास होता है।
जिंदगी का क्या है आज है
कल शायद न हो।
पर तेरी इंसानियत का जिक्र
लोगों की जुवा कर रहता है।।

आजकल दर्द देने वाले
हर जगह मिलते हैं।
पर दर्द को बाँटने वाले
बहुत कम मिलते है।
जो दुसरो के दुख दर्द को
समझता लेता है।
वो ही इंसान सच्चा होता है।।

दिल की तड़प को
वो ही समझ सकता है।
जिसने दर्द को
जिंदगी में कभी सहा हो।
दूर से हँसते चेहरे देखकर
दर्द को समझ नहीं सकते।
इसलिए उसके बारे में
कुछ कह नहीं सकते।
पर लोग बिना सोचे समझे
कुछ भी बोल देते है।
और उसका दर्द कम करने
की जगह बड़ा देते है।।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन, मुंबई

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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