प्यार दिखाकर गोरी तुमने, मन तरंग झकझोर दिया। बिन डोर उड़ गई पतंग , गिरडा जाने! किस ओर गया।। पीपल पर्ण फुर हुआ जाए, आई समीर वेदवती । बैठ तटिनी सोच रहा, हुई क्यूँ विचलित मेरी मति।। जित देखूं तित छबी तुम्हारी, नैन,चैन निर्मूल हुए । शुक-शुकीनी से आकर्षित, भावभीनी […]