80 के दशक में जब गांधी फिल्म रिलीज हुई थी तब तक देश में बॉयोपिक फिल्मों का दौर शुरू नहीं हुआ था। तत्कालीन युवा पीढ़ी के लिए फिल्में देखना भी इतना सहज  नहीं था। चोरी – छिपे फिल्में देखने वाले युवकों की पता चल जाने पर घर में मार – […]

चलो दूर शहर से,कहीं शांत शहर में, दोजक से कहीं दूर,जन्नत के शहर मे। पागल है ये जमाना दौलत के नसे में, चल दूर कहीं साथी चाहत के शहर में। बरसों तलक थी आशा अपने तमाम थे, अब बेबशी की माया अपने ही शहर में। चलो दूर शहर से,कहीं शांत […]

जब वतन पर ग़ज़ल सुनाई है। दाद हमने भी खूब पाई है।। लोग मुझको ग़रीब कहते हैं दिल की दौलत मगर लुटाई है। हम पे कुछ तो भरोसा कर देखो, जिंदगी तुम पे ही लुटाई है। कोई दिल को चुरा नहीं सकता, क्यों मुहब्बत मेरी  चुराई है। अब मुलाकात मुझसे […]

दो दिनों के अंतराल पर एक बंद और एक चक्का जाम आंदोलन। मेरे गृह प्रदेश पश्चिम बंगाल में हाल में यह हुआ। चक्का जाम आंदोलन पहले हुआ और बंद एक दिन बाद। बंद तो वैसे ही हुआ जैसा अमूमन राजनैतिक बंद हुआ करते हैं। प्रदर्शनकारियों का बंद सफल होने का […]

अपने मन के भावों को, उद्वेग से उठते बहावों को मै आज समेट कर  हार पिरोना चाहता  हूँ हाँ मै आज कुछ  लिखना चाहता हूँ मेरे अन्दर  मची हुई है जो हलचल, व्याकुल, व्यथा  बाहर आने को रही है मचल, ना ही अपने विचारों का खुला  दरबार लगाना चाहता हूँ हाँ, मै आज कुछ  लिखना चाहता हूँ […]

मेहनत करके जीना सीख। मत माँगो फैलाकर भीख। ध्यान लगाकर करो कमाई। छानों घर पर छाछ मलाई।। जो फोकट की ले मजदूरी। कभी न होती कामना पूरी।। मेहनत से हो गदगद सीना। वही मिले जो प्रभु है दीना।। मेहनत की एक सूखी रोटी। फीका लगता हीरा व मोती।। ध्यान मगन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।