सभ्य-श्रेष्ठ खुद को कहता नर करता अत्याचार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को क्यों काटे? धिक्कार। बोए बीज,लगाईं कलमें पानी सींच बढ़ाया। पत्ते,कली,पुष्प,फल पाकर मनुज अधिक ललचाया। सोने के अंडे पाने मुर्गी को डाला मार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को नित काटें? धिक्कार। शाखा तोड़ी,तना काटकर जड़ भी दी है खोद। हरी-भरी भू-मरुस्थली […]
sanjeev
शिव बोलेः ‘हे पद्ममुखी! मैं कहता नाम एक सौ आठ। दुर्गा देवी हों प्रसन्न नित सुनकर जिनका सुमधुर पाठ।१। ओम सती साध्वी भवप्रीता भवमोचनी भवानी धन्य। आर्या दुर्गा विजया आद्या शूलवती तीनाक्ष अनन्य।२। पिनाकिनी चित्रा चंद्रघंटा, महातपा शुभरूपा आप्त। अहं बुद्धि मन चित्त चेतना,चिता चिन्मया दर्शन प्राप्त।३। […]
हिन्द और हिन्दी की जय-जयकार करें हम, भारत की माटी,हिन्दी से प्यार करें हम l भाषा सहोदरी होती है,हर प्राणी की, अक्षर-शब्द बसी छवि,शारद कल्याणी की.. नाद-ताल,रस-छंद,व्याकरण शुद्ध सरलतम, जो बोले वह लिखें-पढ़ें, विधि जगवाणी की.. संस्कृत सुरवाणी अपना, गलहार करें हमl हिन्द और हिन्दी की,जय-जयकार करें हम, भारत की माटी,हिन्दी से प्यार करें हमl असमी,उड़िया,कश्मीरी,डोगरी,कोंकणी, […]