कोई भी प्रण कोई प्रतिज्ञा इस युग में मैं नहीं करुँगी अखिल विश्व का भार वहन कर वसुंधरा मैं नहीं बनूँगी… ऋषि पत्नी का शापित जीवन शिला बनी जो भटकी वन वन राम चरण रज प्रतीक्षारत अहिल्या बनकर नहीं रहूँगी कोई भी प्रण…. पांच पांडवों की भार्या बन पांचाली सा […]