नहीं अकड़ना यहाँ कभी भी, महक के जैसे बिखर के जाओ, जो याद कर ले तुम्हें ज़माना,सलाम ऐसा भी कर के जाओ……। ये लोग मुझसे हैं आज कहते, नदी के जैसे सम्भल के जाओ, मगर समंदर है आज अंदर, ये लोग कहते हैं डर के जाओ…….। नहीं है कीमत यहाँ […]

हमारे देश में आजादी हमको फिर से लाना है, मेरे दिल की सभी बातें सभी को कह सुनाना है…। गए इस देश से अंग्रेज पर शासन उन्हीं-सा है, हमें शासन में भी अपने ही रँग को अब चढ़ाना है…। बहुत कुछ कह चुके हैं हम,बहुत कुछ सुन चुके हैं हम, […]

शिकवे-शिकायत करके अपना चैन क्यों खोएंगे हम, तुमने अगर ठुकरा दिया तो उम्र भर सोएंगे हम……..। कुछ लोग ऐसे हैं यहाँ जो पीठ में फन गाड़ते, जितने भी विषधर हैं यहाँ,सबको अभी धोएंगे हम………। लोगों में इतना दम नहीं के वो हमें अपमान दें, जब तक उसूलों की फ़सल चैतन्य […]

आज मंदिर गया और रब से मिला, एक दीवानगी है,मैं जब से मिला…। कुछ भिखारी थे सीढ़ी पे बैठे हुए, और कुछ थे सड़क पर भी लेटे हुए जितने भी थे भिखारी,मैं सबसे मिला, एक दीवानगी है,मैं जब से मिला….॥ भूखों को रोटियाँ बाँटकर ये लगा, सो रहा था मैं […]

बारिश में भी अगर कोई प्यासा दिखाई दे, फिर दूर-दूर तक भी न आशा दिखाई दे…। दिल टूट जाए जिसका वो सावन का क्या करे, उसको तो हर तरफ ही निराशा दिखाई दे…। हमने अगर कहा के जख्मी हो गया जिगर, ये बात भी तो सबको तमाशा दिखाई दे…। दुनिया […]

हमेशा अपने हृदय की बातों को रोक पाना बहुत कठिन है, हमेशा चुप रह के सारे जुल्मों को सहते जाना बहुत कठिन है। सभी ने बचपन से ये सिखाया के सच का दामन कभी न छोड़ो, मगर ये सच्चाई मेरे प्यारे अमल में लाना बहुत कठिन है। मैं देश का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।