चराचर विश्व की अधीश्वरी, जगत् को धारण करनेवाली, संसार का पालन और संहार करने वाली तथा तेज:स्वरूप भगवान विष्णु की अनुपम शक्ति पराम्बा का सातवाँ रूप  ‘कालरात्रि’ या ‘महाकाली’ का है ।  कालरात्रि का शाब्दिक अर्थ है –  ‘जो सब को मारने वाले काल की भी रात्रि या विनाशिका हो’ […]

माता का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा का है । चंद्रघंटा का अर्थ है चंद्रमा घंटा के रूप में जिसके मस्तक  पर शोभित है । “चंद्र: घंटायां यस्या: सा चंद्रघंटा ।”  इस रूप के प्रतीक के रूप में माँ के  रूप 10 हाथ दिखए गए हैं ; जो कि  5 कर्मेन्द्रिय और […]

माँ का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है ,जिसका शाब्दिक अर्थ है -‘ब्रह्मा का-सा आचरण करने वाली’। ‘ब्रह्मा’ का एक अर्थ तपस्या भी है, इसलिए ब्रह्मचारिणी को ‘तपश्चरिणी’ भी कहा जाता है । प्रतीक के रूप में इनके बाएँ हाथ में कमंडल और दाहिने हाथ में जप की माला दी गई […]

शब्द को ब्रह्म यूँ ही नहीं कहा गया है; विश्व की समस्त शक्तियाँ शब्दों से निःसृत होकर शब्दों में ही समाहित हो जाती हैं ।  ध्यातव्य है कि शब्द शक्ति है । इस शक्ति को विज्ञान  “ऊर्जा के उपयोग से कार्य करने की क्षमता” के रूप में परिभाषित करता है […]

हर जगह बात बात पर राजनीतिक बाते इस तर्ज़ पर तजुर्बा दिखाती हैं कि प्रतीत होता है कि हम सब से बड़ा राजनीतिज्ञ शायद ही कोई हो। हम निर्णय भी लेते है और परिणाम भी घोषित करते है और यहाँ तक कि जो वास्तविक राज्यनीतिज्ञ है वो भी हमसे कम […]

(व्यक्तित्व/मुंशी प्रेमचंद ) साहित्य की सघन वादियों में कदमों के निशान ऐसे ही नहीं छूटते , बहुत श्रम करना पड़ता है । कालजयी साहित्यकार वही होता है, जिसके कदमों के निशान देख जमाना रास्ता तय करे ! 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास लमही में अजायब राय और आनंद […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।