#कमलेश कमल
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माँ का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है ,जिसका शाब्दिक अर्थ है -‘ब्रह्मा का-सा आचरण करने वाली’। ‘ब्रह्मा’ का एक अर्थ तपस्या भी है, इसलिए ब्रह्मचारिणी को ‘तपश्चरिणी’ भी कहा जाता है । प्रतीक के रूप में इनके बाएँ हाथ में कमंडल और दाहिने हाथ में जप की माला दी गई है, जो साधना की अवस्था को दर्शाती है। इसमें साधक का ध्यान मूलाधार से उठकर स्वाधिष्ठान चक्र (लिंग-स्थान) पर आया है, जिसका मूल तत्त्व जल है ।
वैसे, ब्रह्मचारिणी के बारे में मान्यता है कि महादेव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए यह घोर तपस्या करती हैं : “ब्रह्म चारयितुं शीलं यस्या: सा ब्रह्मचारिणी ।” अर्थात् सच्चिदानंदमय ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति कराना जिसका स्वभाव हो वे ब्रह्मचारिणी हैं।
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